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Yoga Benefits in Hindi | योग का क्या महत्व है। योग के लाभ और प्रकार

Yoga Benefits in Hindi | योग का क्या महत्व है, योग के लाभ और यह कितने प्रकार के होते है ?

स्वागत है दोस्तों, हमें उम्मीद है आप अच्छे होंगे, अगर आप  Yoga Benefits in Hindi या योग का क्या महत्व है से Relative कोई ब्लॉग या पोस्ट की तलाश में है तो, आप बिलकुल सही पोस्ट पर आये है। 

मैं आज आप लोगो को बताने वाला हूँ की की योग क्या है, योग के प्रकार और Yoga Benefits in Hindi. तो बिना समय गवाए इस Yoga Benefits in Hindi पोस्ट को शुरू करते है। योग का क्या महत्व है।

आप इस Yoga Benefits in Hindi पोस्ट को ध्यान से पढ़ियेगा और अगर अच्छा लगे तो शेयर जरूर करियेगा। तो सबसे पहले हमलोग ये जानेंगे की Yoga क्या है या योग क्या होता है ?

योग क्या है या योग क्या होता है | Yoga Kya Hai | Yoga kya hota hai ?

यह एक प्राचीन भारतीय ध्यान और आध्यात्मिक प्रथा है जो मानव शरीर, मन, और आत्मा के सामंजस्य विकास को बढ़ने का उद्देश्य रखती है। योग को संसारभर में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने, आत्मा की अध्यात्मिकता को विकसित करने, और आत्मज्ञान प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है।

योग के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें योग की भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण और प्रयासों का परिचय दिया गया है। अगर बात योग की करे तो ये जो Yoga शब्द है इसका शाब्दिक अर्थ – जुरना/एकत्र करना या बांधना होता है। 

इसके द्वारा हम आपने इच्छा, हमारी कामना, हमारा लोभ , हमारा विचार ,हमारी वासना जो की, हमारे जीवन में अनंत होती है, इनसब को रोकना ही योगा है, अगर हम सीधी भाषा में बोले तो आपने मन को वश में करना ही योग है। योग दरसन है जो मानव  जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने का रास्ता दिखता है।

योग के अंग  – क्रियाएं ,काम  ,नियम , आसान ,प्राणायाम , धरना , धियान , समाधी ये सभी क्रियाएं आपना कर योग करता है और स्थिर  होता है,  इसी का नाम योग है। 

यह एक ऐसा साधन या माध्यम है, जिसके द्वारा कोई भी मनुष्य आपने मन, सरीर , शक्ति ,और भावना को अपने नियंत्रण  में कर सकता है।  योग से शारिरीक , मानसिक और बौद्धिक  विकाश होता है।

योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने का माध्यम होता है, बल्कि यह मानसिक तनाव को कम करने, मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त करने, और आत्मा के साथ एकता अनुभव करने में भी मदद करता है। योग का उद्देश्य शरीर, मन, और आत्मा के सामंजस्य विकास को प्रोत्साहित करना होता है जिससे व्यक्ति समृद्ध, स्वास्थ्यपूर्ण, और आत्मानुभूति भरपूर जीवन जी सके।

Yoga Benefits in Hindi | योग का क्या महत्व है।

अब हमलोग देखेंगे Yoga के क्या Benefits है : तो Yoga के निम्न्लिखित  Benefits है जो की निचे दिए है :

योग से हमारी शरीर को ऊर्जा मिलती है , हमारे दिमाग को शांति मिलती है , हमारी शरीर को शांति मिलती है , योग करने से हमें जितनी ऊर्जा मिलती जाएगी हम उतने ही सक्रिय होते जायेंगे। 

योग करने से हमारे शरीर के इम्युनिटी सिस्टिम बढ़ता है, यह हमारे दिमाग को सक्रिय और ताजा कर देता है। और हमारा दिमाग जितना जायदा सिक्रिये रहेगा उतना ही जयादा ऊर्जा हमें मिलती है। 

बहुत सरे बीमारियों जैसे एसिडिटी, पैट खराब या  कब्ज जैसी समस्याएं योग करने से दूर हो जाती है, क्योंकि योग करने से हमारे सरीर के सभी मसल्स सक्रिय हो जाते है।  जिससे शरीर की समस्याएं अपने आप ठीक हो जाती है। 

हमारे जो रोज का टेंसन, थकान या तनाव से हमें छुटकारा मिलता है। अगर हम रोज योग करते है, रोज इसलिए क्योंकि हमें टेंसन, थकान या तनाव रोज होते है।  कुछ तो ऐसा होना चहिये जो हमरी रोज के टेंसन, थकान या तनाव दूर कर सके और हमारी शरीर को एकदम तारो ताजा कर सके तो इसके लिए योग महत्वपूर्ण है।  

योग से हमारे अंदर के बुरी लत जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट इत्यादि से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते है। क्योकि योग हमरे हार्मोन्स को control करता है। योग करने से हमारा शरीर लचीला हो जाता है, और हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का  स्रोत बढ़ता है |

योग का मुख्य उद्देश्य क्या है

Yoga Poses
Yoga Poses

Yog का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं में सामंजस्य विकास को प्रोत्साहित करना होता है। योग के माध्यम से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है जिससे वह एक सुखमय और सात्विक जीवन जी सकता है। योग के मुख्य उद्देश्यों में से कुछ निम्नलिखित होते हैं:

शारीरिक स्वास्थ्य: योग के माध्यम से आसनों, प्राणायाम, और शरीर की संरचना के सुधारने की प्रक्रियाएँ आत्मा के शरीर में संतुलन और शक्ति को प्राप्त करने में मदद करती है।

मानसिक स्वास्थ्य: योग के अभ्यास से ध्यान, प्राणायाम, और मानसिक अभ्यासों के माध्यम से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है, जिससे मानसिक शांति, स्थिरता, और शक्ति प्राप्त होती है।

आध्यात्मिक विकास: योग का मुख्य उद्देश्य आत्मा के साथ संबंध स्थापित करना होता है और आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करना होता है। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने आंतरिक ज्ञान को जागृत करता है और आत्मज्ञान प्राप्त करता है।

स्वयं से समर्पण: योग के अभ्यास से व्यक्ति अपनी इच्छाशक्ति और विचारों को नियंत्रित करने में समर्थ होता है और वह अपने कार्यों में समर्पित होकर उन्हें सफलता की प्राप्ति के लिए अवनति करता है।

समरसता और स्थिरता: योग के अभ्यास से मानसिक स्थिरता और शांति प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति जीवन के सभी पहलुओं में समरसता और स्थिरता की प्राप्ति कर सकता है।

सात्विक जीवनशैली: योग के अभ्यास से व्यक्ति आत्मज्ञान, संयम, और सात्विकता की ओर बढ़ता है, जिससे उसकी जीवनशैली सात्विक बनती है और वह स्वास्थ्यपूर्ण, सुखमय, और आत्मर्पणशील जीवन जी सकता है।

इस प्रकार, योग का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन के सभी पहलुओं में सामंजस्य विकास को प्रोत्साहित करना है, ताकि व्यक्ति एक स्वस्थ, समृद्ध, और आत्मनिर्भर जीवन जी सके।

योग कितने प्रकार के होते है |  Yoga के मुख्य प्रकार: 

types of yoga in hindi
Types of yoga in Hindi

योग कई प्रकार के होते हैं, जिनमें विभिन्न दृष्टिकोण और उद्देश्य होते हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख योग प्रकार होते हैं:

हठ योग (Hatha Yoga): हठ योग शारीरिक और मानसिक सामंजस्य विकास को प्रमोट करने के लिए विभिन्न आसनों (योगासन) और प्राणायाम (श्वास-नियंत्रण) का अभ्यास करता है।

भक्ति योग (Bhakti Yoga): भक्ति योग में आत्मा को परमात्मा के प्रति भक्ति और प्रेम के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है।

ज्ञान योग (Jnana Yoga): ज्ञान योग में आत्मा के स्वरूप की अध्ययन के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है।

कर्म योग (Karma Yoga): कर्म योग में कर्म के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है, जिसमें कर्मों को दान, सेवा, और निष्काम कर्म के माध्यम से आत्मा के साथ समन्वय स्थापित किया जाता है।

राज योग (Raja Yoga): राज योग में मानसिक और मानसिक प्रशिक्षण के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है। इसमें अष्टांग योग (आठ पद) जैसे ध्यान, प्रत्याहार, आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान, और समाधि शामिल होते हैं।

कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga): कुण्डलिनी योग में कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने का प्रयास किया जाता है, जिससे आत्मा की उन्नति और सामंजस्य विकास होता है।

नाद योग (Nada Yoga): नाद योग में ध्वनि और संगीत के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है, जिससे आत्मा की अध्यात्मिकता और संवेदनशीलता में वृद्धि होती है।

ये केवल कुछ प्रमुख योग प्रकार हैं, और इसके अलावा भी विभिन्न प्रकार के योग होते हैं जो सामंजस्य विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उपयोगी होते हैं।

हठ योग

यह योग एक प्रकार का योग है जिसमें शारीरिक और मानसिक सामंजस्य विकास को बढ़ाने के लिए विभिन्न आसनों (योगासन) और प्राणायाम (श्वास-नियंत्रण) का अभ्यास किया जाता है। हठ योग का उद्देश्य शरीर और मन को पूर्णता तक विकसित करने में मदद करना है, जिससे व्यक्ति आत्मा की ओर अग्रसर हो सके।

हठ योग के माध्यम से शरीर को स्थिर और लचीला बनाया जाता है, जिससे योगी आसनों को स्थिरता से बैठ सकते हैं और उन्हें आत्मा के अध्ययन के लिए आवश्यक शांति मिल सके। हठ योग में आसनों के साथ-साथ प्राणायाम (श्वास-नियंत्रण) का भी विशेष महत्व होता है, जिससे शरीर की प्राणशक्ति (जीवन ऊर्जा) को संरक्षित किया जा सकता है।

इस योग का अभ्यास करने से योगी का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारता है। यह उनकी तनावमुक्ति में मदद करता है, मानसिक चिंता को कम करता है, और उनकी आत्म-ज्ञान और स्वाधीनता में वृद्धि करता है।

हठ योग का अभ्यास करने के लिए योगी को नियमित और निष्ठापूर्ण अभ्यास की आवश्यकता होती है, जिससे उन्हें साधना के माध्यम से आत्मा की दिशा में प्राप्तियों की प्राप्ति हो सके।

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भक्ति योग

यह योग एक प्रकार का योग है जिसमें आत्मा को परमात्मा के प्रति श्रद्धा, प्रेम, और समर्पण के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है। इसमें व्यक्ति अपने आंतरिक स्थिति को प्रकट करते हुए ईश्वरीय प्रेम में लीन होता है और उसके साथ अभिन्नता की अनुभविती प्राप्त करता है।

भक्ति योग में आत्मा का उद्देश्य ईश्वर की प्रेमानुराग के माध्यम से सम्पूर्ण होने का प्रयास करता है। यह आत्मा के और ईश्वर के बीच संबंध को मजबूत करने में मदद करता है और व्यक्ति को अपनी असली आत्मा की पहचान में मदद करता है।

इस योग के अभ्यास से व्यक्ति का मन और हृदय पूरी तरह से ईश्वर में लग जाता है, जिससे उसकी भावनाएं शुद्धता और सजगता से भर जाती हैं। भक्ति योग में व्यक्ति अपने स्वार्थ और आत्म-केंद्रितता को छोड़कर दिव्य प्रेम की दिशा में अपने मन को दिशित करता है।

भक्ति योग के अभ्यास से व्यक्ति की आत्मा में शुद्धता, संयम, और सात्विकता की वृद्धि होती है। यह उसके जीवन को ध्यान, सद्गुरु, सत्संग, और भक्ति के माध्यम से ईश्वर के साथ एक संबंध में लिपटने का तरीका सिखाता है।

इस योग का अभ्यास करने के लिए किसी विशिष्ट धार्मिक मार्ग या ईश्वरीय पथ की आवश्यकता नहीं होती है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी धार्मिक संप्रदाय से संबंधित हो या न हो, भक्ति योग का अभ्यास कर सकता है और ईश्वर के प्रति आदर्श और प्रेम की दिशा में बढ़ सकता है।

ज्ञान योग

यह योग एक प्रकार का योग है जिसमें आत्मा को ज्ञान और समझ के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है। यह योग मानव चेतना के उन्नत और आध्यात्मिक पहलु को प्रमोट करने के लिए अभ्यास किया जाता है। ज्ञान योग का मुख्य उद्देश्य आत्मा की अद्वितीयता और परमात्मा के साथ एकता में अनुभविक होना होता है।

ज्ञान योग में आत्मा के स्वरूप, जगत के नियम, माया के विचार, और ब्रह्म के ज्ञान के माध्यम से सामंजस्य विकास किया जाता है। योगी ज्ञान योग के माध्यम से सत्य को पहचानते हैं, और उनकी दृष्टि उच्चतम ज्ञान की ओर दिशित होती है।

इस योग के अनुयायियों को आत्म-समर्पण, संयम, और स्वाध्याय (आत्म-अध्ययन) की प्राथमिकता होती है। वे आध्यात्मिक शास्त्रों का अध्ययन करते हैं, ध्यान और धारणा के माध्यम से मन को नियंत्रित करते हैं, और आत्मा की उच्चतम तत्त्व में निष्ठापूर्ण ध्यान में रहते हैं।

ज्ञान योग के अभ्यास से योगी का मन विचारों की शांति, स्थिरता, और शुद्धता में रहता है। वे जीवन की असली और अद्वितीय रूपता को पहचानते हैं और ब्रह्म के साथ अपनी अद्वितीयता में एक होने का अनुभव करते हैं।

इस योग का अभ्यास करने से व्यक्ति का मानसिक और आत्मिक विकास होता है, और उसका मन विचारों की उच्चतम स्तर पर नियंत्रित होता है। यह व्यक्ति को स्वतंत्रता, शांति, और आत्म-संयम की प्राप्ति में मदद करता है।

कर्म योग

यह योग एक प्रकार का योग है जिसमें कर्म के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है। इसमें व्यक्ति को कर्मों को निष्कामता और सेवा के भाव से करने की सिख मिलती है, जिससे उसका मन शांत और स्थिर रहता है। कर्म योग का मुख्य उद्देश्य आत्मा के साथ समन्वय और शांति की प्राप्ति होती है।

कर्म योग के अनुयायियों का मानना है कि कर्म एक योग्य और उच्चतम तरीका है आत्मा के विकास में। उनका उद्देश्य कर्म के माध्यम से आत्मा की उन्नति, स्वाधीनता, और सामंजस्य विकास करना होता है, जिससे उनकी चिंता, भय, और मोह कम होते हैं।

इस योग में व्यक्ति को कर्मों के फलों के प्रति आसक्ति को त्यागने की सिख दी जाती है। उन्हें कर्मों को ईश्वर के लिए सेवा का रूप में करने की प्रेरणा मिलती है और उन्हें समग्रता में अपनी आत्मा की पहचान होती है।

कर्म योग के अभ्यास से व्यक्ति की स्वानुभूति, समर्पण, और निष्कामता में वृद्धि होती है। उन्हें कर्म के माध्यम से आत्मा के साथ संवाद करने की कला में सिख मिलती है और उनका मन उच्चतम तत्त्व में लगा रहता है।

इस योग का अभ्यास करने से व्यक्ति का जीवन में सकारात्मकता, सेवा-भाव, और समर्पण की भावना विकसित होती है। वे अपने कर्मों को योगी सोच और निष्कामता के साथ करते हैं, जिससे उन्हें आत्मा के साथ समन्वय और शांति की प्राप्ति होती है।

राज योग

इस योग को अन्य नामों में अष्टांग योग भी कहा जाता है, मानसिक और मानसिक प्रशिक्षण के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का एक प्रकार का योग है। इस योग का नाम ‘राज’ योग उसके महत्वपूर्ण और उच्चतम स्थान की वजह से है, जिसे व्यक्ति अपने मानसिक और आत्मा के विकास में प्राप्त करता है।

राज योग में आठ अंग होते हैं, जिन्हें आष्टांग योग के नाम से जाना जाता है। ये आठ अंग हैं:

यम (Restraints): यम व्यक्ति की आचरण में सामंजस्य और नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए होते हैं। इनमें अहिंसा (न हिंसा), सत्य, अस्तेय (न चोरी करना), ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य रहना), और अपरिग्रह (मानसिक और भौतिक भूख को संयम में रखना) शामिल होते हैं।

नियम (Observances): नियम व्यक्ति के जीवन में सशक्ति, स्वास्थ्य, और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए होते हैं। इनमें शौच (शुद्धता), संतोष (संतोष रहना), तपस्या (साधना), स्वाध्याय (स्वयं का अध्ययन), और ईश्वरप्रणिधान (ईश्वर को समर्पण) शामिल होते हैं।

आसन (Postures): आसन शरीर की स्थिरता और आत्म-समर्पण की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए होते हैं।

प्राणायाम (Breath Control): प्राणायाम मानसिक और आत्मा के विकास के लिए श्वास-नियंत्रण का अभ्यास करने का तरीका होता है।

प्रत्याहार (Withdrawal of Senses): प्रत्याहार मन की विचारों और इन्द्रियों को वश में करने के लिए होता है, जिससे व्यक्ति अपनी आत्मा की दिशा में स्थिर हो सकता है।

धारणा (Concentration): धारणा मन की विचारों को एक स्थिर धारा पर केंद्रित करने का अभ्यास होता है।

ध्यान (Meditation): ध्यान मन को एक सिरीज़ के सांदर्भिक ध्यान में लेकर आत्म-अध्ययन की प्रक्रिया होती है।

समाधि (Union): समाधि आत्मा के एकता और पूर्णता के अवस्थान को प्राप्त करने की स्थिति होती है।

ये आठ अंग राज योग के माध्यम से मानसिक और आत्मा के विकास में मदद करते हैं। 

कुण्डलिनी योग

यह योग एक विशेष प्रकार का योग है जिसमें कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने और उसे ऊर्जा के रूप में शरीर के ऊपरी चक्रों (चक्रों) में ले जाने का प्रयास किया जाता है। कुण्डलिनी एक आध्यात्मिक शक्ति है जिसका माना जाता है कि यह मूलधार चक्र (ब्रह्मरंड्र) में निष्क्रिय रूप में सोती है और योगी के अभ्यास के माध्यम से जागृत होती है।

कुण्डलिनी योग के अनुयायियों का मानना है कि जब कुण्डलिनी शक्ति जागृत होती है, तो व्यक्ति की चेतना का एक उच्च स्थान में विकास होता है और वह आत्मा के अद्वितीयता को अनुभव करता है। कुण्डलिनी शक्ति को ऊर्जा के रूप में ऊपरी चक्रों में ले जाने का अभ्यास करते समय, योगी के मानसिक और आत्मिक दृष्टिकोण में विकास होता है और उसके अद्वितीय प्राकृतिक प्राकृतिक गुण जागृत होते हैं।

इस योग के अभ्यास के द्वारा योगी को शरीर, मन, और आत्मा के सामंजस्य विकास की प्राप्ति होती है। यह उसकी आत्म-पहचान में वृद्धि करता है, उसे आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है, और उसकी आत्मा के साथ समन्वय की भावना को विकसित करता है।

कुण्डलिनी योग के अभ्यास से व्यक्ति की चेतना की ऊंचाइयों में वृद्धि होती है और उसका मानसिक स्थिति शांत, स्थिर, और समाहित रहता है। यह उसकी भावनाओं और विचारों को नियंत्रित करने में मदद करता है और उसे आत्म-समर्पण की भावना में ले जाता है।

इस योग का अभ्यास करने के लिए सही मार्गदर्शन और गुरु की मानसिकता की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह योग एक विशेष तकनीकों और अभ्यासों का प्रयास करता है जो सही रूप से किए जाने पर ही सुरक्षित हो सकते हैं।

नाद योग

यह योग एक आध्यात्मिक योग प्रथा है जिसमें आत्मा को आवाज़ के माध्यम से सामंजस्य विकास करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रक्रिया में, ध्यान और आवाज़ का संयोजन करके व्यक्ति आत्मा के अद्वितीयता और ऊर्जा को अनुभव करता है। नाद योग में आवाज़ को ध्यान के माध्यम से एक उपाय माना जाता है जिसके माध्यम से आत्मा की गहराईयों को पहचाना जा सकता है।

नाद योग के अनुयायियों का मानना है कि विश्व में एक अद्वितीय आवाज़ होती है, जिसे “नाद” कहा जाता है, और व्यक्ति के आत्मा की उच्चतम स्थिति के माध्यम से सुना जा सकता है। यह आवाज़ शून्य की ओर ले जाने वाला एक मार्ग होता है, जो आत्मा को उसकी अद्वितीयता की ओर दिशा में ले जाता है।

इस योग के अभ्यास से व्यक्ति की ध्यान क्षमता बढ़ती है और उसकी मानसिकता शांति, स्थिरता, और स्थायिता में वृद्धि होती है। यह उसे आत्मा की आवाज़ के माध्यम से अपने आदर्शों, उद्देश्यों, और आत्मा के साथ समन्वय की भावना को विकसित करने में मदद करता है।

नाद योग का अभ्यास करने के लिए व्यक्ति को स्थिरता और सामर्थ्य की आवश्यकता होती है क्योंकि यह योग आवाज़ की ध्यान क्षमता को विकसित करने की प्रक्रिया है। योगी को ध्यान, प्राणायाम, और आवाज़ के सम्बंधित तंत्रिक अभ्यासों का पालन करके आत्मा की ऊर्जा को अपने शरीर में स्थानित करने की कला सीखनी होती है।

Yog Guru Baba Ramdev
Yog Guru Baba Ramdev

Yoga Benefits in Hindi FAQs :-

1)  योग तथा व्यायाम से क्या लाभ है ?

योग तथा व्यायाम से बहुत सारे लाभ होते है, जैसे स्वस्थ,सक्रिय या मानसिक और शारीरिक शक्ति बनाये रखने के लिए योग आवश्यक है। 

2) प्रतिदिन योगासन करने से क्या लाभ होता है ?

प्रतिदिन योगासन करने से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है, और हम शारीरिक, तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहते है।  

3) योगा से कितने दिन में फायदा होता है ?

योगा कितने दिन में फायदा करेगा ये fix नहीं है, इसे लगातार करने से इसका फायदा दिखाई परता है।  

4) योगा सुबह -सुबह  कितने बजे करना चाहिए ?

हर सुबह योगा 3:30 से 6:00 के बिच करना चाहिए यही समय योगा के लिए सही है। 

5) बाबा रामदेव कौन है ?

बाबा राम देव एक योग गुरु है। 

पतंजलि क्या है ?

यह एक प्रकिर्तिक औषधि बनाने और बेचने वाली संसथान है।

पतंजलि की Website पे जाने के लिए यहाँ Click करे। 

Conclusion

अगर आप इस Yoga Benefits in Hindi पोस्ट में यहाँ तक आ गए है तो, आपको यह Yoga Benefits in Hindi पोस्ट पसंद आया होगा, अगर आपको यह Yoga Benefits in Hindi पोस्ट पसंद आया है तो आप इस  पोस्ट को आपने दोस्तों के साथShare जरूर करे। अगर आपको पोस्ट मे कोई प्रकार की कमी दिखे तो हमें comment करके सुझाव अवश्य दे।  

अगर आपको Yoga Benefits in Hindi या  योगा का क्या महत्व है से Relative कोई और पोस्ट चाहिए , या  फिर किसी भी विषय के बारे में पोस्ट चाहिए तो comment  कीजिये। 

आपको बहुत बहुत धनबाद। 

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