Home » विद्यालय पर निबंध [विद्यालय पर निबंध हिंदी में] Vidyalaya Par Nibandh.

विद्यालय पर निबंध [विद्यालय पर निबंध हिंदी में] Vidyalaya Par Nibandh.

विद्यालय पर निबंध। हमारा विद्यालय पर निबंध हिंदी में।  Vidyalaya Par Nibandh.

हेलो जी, आपका स्वागत है विद्यालय पर निबंध पोस्ट में।अगर आप इंटरनेट पर विद्यालय पर निबंध की तलाश कर रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।

इस पोस्ट में आपको विद्यालय पर निबंध और विद्यालय पर निबंध से जुड़ी हुई और भी बहुत सारी जानकारी मिलेंगी।जैसे विद्यालय पर निबंध, यह क्यों जरूरी है, इसको लिखा कैसे जाता है और भी बहुत कुछ।

तो बिना देर किए इस पोस्ट को शुरू करते हैं। अगर आपको पोस्ट अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा जरूर करिएगा।

आप इसे भी पढ़ सकते है। 

विद्यालय पर निबंध। हमारा विद्यालय पर निबंध हिंदी में। 

विद्यालय का संधि विच्छेद विद्या + आलय होता है जिसमें की विद्या का शाब्दिक अर्थ ज्ञान , बुद्धि , शिक्षा आदि होता है ।और आलय का शाब्दिक अर्थ घर होता है अर्थात विद्या का आलय है जहां वह विद्यालय है।

दूसरे शब्दों में, विद्या के घर को ही विद्यालय कहा जाता है।

जिस प्रकार से मानव को जिंदा रहने के लिए वायु,पानी, भोजन आदि की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार उन्हें एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए , अपने जीवन में एक अच्छे मुकाम को हासिल करने के लिए, अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए एक अच्छी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की आवश्यकता होती है जो की विद्यालय से प्राप्त किया जाता है।

प्रस्तावना : विद्यालय एक ऐसी संस्था है जहां लोग बहुत कुछ सीखते और पढ़ते हैं। उन्हें ज्ञान का मंदिर भी कहा जाता है।विद्यालय में हम सब अपने जीवन का सबसे संवेदनशील समय व्यतीत करते हैं।

विद्यालय में अध्यापकगण हमें अलग अलग विषयों में शिक्षा प्रदान कर हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं जो की एक अच्छे जीवन के लिए अति आवश्यक है।

हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील समय होता है हमारा बचपन। और हम अपने बचपन को विद्यालय में ज्यादा समय देते हैं।

जैसे की प्रतिदिन  विद्यालय जाना, वहां नए नए दोस्त बनाना, उनके साथ खेलना, हंसी मजाक करना, अपने अध्ययनकर्म में एक दूसरे की सहायता करना आदि और भी बहुत कुछ।

बचपन में विद्यालय के शिक्षकों द्वारा कभी डांट फटकार सुनना तो कभी दुलार करना, कभी अध्ययन कार्य करना तो कभी हंसी मजाक करना, कभी कक्षा में नित्य प्रतिदिन जा कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना, अध्ययन शैली में अपनी रुचि दिखाना तो कभी शिक्षकों द्वारा नए नए क्रीडा प्रतियोगिताओं में अपनी सहभागी दर्ज करवाना, उनमें भाग लेना और बरे मजे के साथ उस समय को एंजॉय करना आदि।

कभी कभी हमारे जीवन में अपने माता पिता से भी ज्यादा नजदीकी हमारे शिक्षकगण हो जाते हैं। और ऐसा इसलिए हो पाता है क्योंकि हम अपने जीवन के सबसे संवेदनशील समय को विद्यालय में शिक्षकगण के साथ बहुत अच्छे से व्यतीत करते हैं।

विद्यालय जाने के पश्चात हम न केवल किसी विषय वस्तु को अपने जीवन में प्रस्तुत करते हैं वरन वहां और भी बहुत सारी सकारात्मक चीजें सीखने को मिलती हैं।

जैसे की सामाजिक ज्ञान (समाज में कैसे किसके साथ बात करना है, वहां सबके साथ कैसे उठना है, कैसे बैठना है आदि।), व्यावहारिक ज्ञान, सांस्कृतिक ज्ञान (अपने गांव के रीति रिवाज से रूबरू होना) आध्यात्मिक ज्ञान से जुड़ना , जीवन के कठिन से कठिन परिस्थितियों में खुद में संयम बनाए रखना आदि और भी बहुत कुछ हैं जो की हमें विद्यालय में सीखने को मिलती हैं।

विद्यालय जीवन की परंपरा कोई नई नहीं है।सदियों से हमारा देश ज्ञान का स्रोत रहा है।हमारे यहां आदिकाल से ही गुरुकुल परंपरा रही है। बरे बरे महाराजा भी अपना राजसी वैभव छोड़कर ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरुकुल जाते थे।

यहां तक कि ईश्वर के अवतार श्रीकृष्ण और श्रीराम भी पढ़ने के लिए गुरुकुल आश्रय गए थे।गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर होता है, संसार को ऐसी सिख दी।

विद्यालय एक ऐसा पड़ाव है जिससे हर व्यक्ति को गुजरना परता है और गुजरना भी चाहिए क्योंकि यह पड़ाव हमें हमारे भविष्य को संवारने में मदद करता है।

विद्यालय के प्रकार :

बचपन से बरे होने तक हम अलग अलग विद्यालय में पढ़ते है। विद्यालय के भी कई प्रकार होते हैं, जैसे 

  1. आंगनवाड़ी : यह एक विद्यालय की तरह होता है जहां छोटे बच्चों को बैठना और बाकी आधारभूत चीजें सीखते हैं।
  2. प्राथमिक विद्यालय : प्राथमिक विद्यालय में एक से पांच तक की पढ़ाई होती है।
  3. माध्यमिक विद्यालय :इस व्यवस्था में पहली से आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है, कई विद्यालय में छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है।
  4. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय : इस व्यवस्था में पहली से दसवीं तक की शिक्षा दी जाती है।कई विद्यालय में पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है।

विद्यालय का महत्व। 

सरकार ने कुछ नियम तय कर रखे हैं, जिसके अनुसार ही विद्यालय की बनावट और वातावरण होना चाहिए।नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 ने भारत में शिक्षा के स्तर में बढ़ावा देने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जो की बहुत कारगर भी सिद्ध हुए हैं।

विदार्थियों के समग्र विकास में विद्यालय की विशेष और महत्वपूर्ण भूमिका है।विद्यालयों की यह जिम्मेदारी बनती है की वह बच्चों की हर छोटी बड़ी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए।

विद्यालय की विशेषताएं। 

विद्यालय में शांत वातावरण होना चाहिए। वहां में ट्रेंड टीचर्स होने चाहिए, बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन होना चाहिए। विद्यालय में नियमित प्रतिदिन गृह कार्य दिया जाना चाहिए,छात्र छात्राओं के मूल्यांकन हेतु सतत मूल्यांकन पद्धति अपनाई जानी चाहिए।

विद्यालय में अतिरिक्त पाठ्यतर गतिविधि पर ध्यान देना चाहिए, विभिन्न विषयों में प्रतियोगी परीक्षाओं की व्यवस्था होनी चाहिए। अध्यापन हेतु कक्ष विशाल और हवादार होना चाहिए, जिससे विद्यार्थी का पढ़ाई में लग सकें।

विद्यालय में शीतल पेयजल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।उसके आस पास का जगह साफ सुथरा होना चाहिए जिससे की बीमारी न फेल सकें।शारीरिक, योग,नृत्य और संगीत शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। 

जिससे की विधार्थी अन्य कार्य में भी तेज हो सके।छात्रों की अंतः क्रियाओं और मानसिक विकास हेतु वाद विवाद प्रतियोगिता आदि कराना चाहिए जिससे की उनका मानसिक विकास बढ़ता रहें।

विधार्थियों की वार्षिक पत्रिका छपनी चाहिए, जिसमें हर क्षेत्र के मेधावी बच्चों का उल्लेख होना चाहिए। सभी कक्षाओं में स्मार्ट कक्षा की व्यवस्था होना चाहिए जिससे की उन्हें पढ़ाई में आसानी होगी और डिजिटल शिक्षा का ज्ञान प्राप्त होगा। 

 निष्कर्ष : अतः उपर्युक्त तथ्यों के माध्यम से विद्यालय पर निबंध, विद्यालय के महत्व, उनकी विशेषताओं को बहुत ही अच्छी तरह से समझा जा सकता है।

विद्यालय में जब हमारा दाखिला होता है तो उस समय हम नन्हे पौधे ही रहते हैं।हमारा विद्यालय ही सींच कर हमें बड़ा वृक्ष बनाता है और इस दुनिया में तरक्की का मुकाम हासिल करता है।

अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घड़ियां हम अपने विद्यालय जीवन में ही बिताते हैं।यह कहना गलत नही होगा की बरे होने पर हम सबसे अधिक विद्यालय में बिताए गए लम्हों को याद करते हैं।

इसलिए हर बालक, छात्र, छात्राओं को उचित शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे की वह भविष्य में देश को उन्नति की और ले जाने में अपना योगदान दे सके जिसकी शुरुवात विद्यालय से ही संभव है।

यदि हमारे देश के सभी छात्र छात्राएं उचित शिक्षा प्राप्त कर देश के तरक्की में अपना अपना योगदान दें तो वह दिन दूर नहीं जो की हमारा देश एक विकासशील देश से विकसित देश की गिनती में गिना जाने लगेगा जो की हमारे लिए एक बहुत ही सम्मान वो गर्व की बात है।

विद्यालय पर निबंध 400 शब्दों में। 

विद्यालय पर निबंध 400 शब्दों में।
विद्यालय पर निबंध 400 शब्दों में।

विद्यालय का संधि विच्छेद विद्या+ आलय होता है, जिसमे की विद्या का तात्पर्य ज्ञान, शिक्षित होने से हैं।और आलय का आशय घर से है अर्थात ज्ञान का भंडार हो जहां वो विद्यालय कहलाता है।

हमारे देश में विद्या को देवी का स्थान दिया गया है। विद्यालय एक ऐसा विषय है , जिस पर अक्सर निबंध लिखने को कहा जाता है।

हमारी जिंदगी का सबसे अहम और ज्यादा समय हम अपने विद्यालय में ही बिताते हैं। विद्यालय से ही हम हमारे भविष्य में पढ़ने वाले क्षेत्र को तय करते है, इसलिए विद्यालय सबकी जिंदगी में बहुत मायने रखती है।

अक्सर ऐसा कहा जाता है की जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग बचपन होता है।बचपन का हर पल खुल कर जीना चाहिए।

न ही कोई जिम्मेदारी का बोझ होता है और नही किसी प्रकार का करियर की टेंशन। सिर्फ खुद से मतलब। ऐसा मस्त समय जीवन में दोबारा कभी नहीं आता और इन सब मस्ती के पल का साक्षी होता है, हमारा विद्यालय।

विद्यालय में हमारे साथ हमारे दोस्तों ,शिक्षक गण आदि के सामने कुछ ऐसे अविस्मरणीय पल हो जाते हैं, जब हजारों बच्चों के बीच से आपका नाम लिया जाता है और मंच पर जाते ही आपका तालियों की गरगराहट के साथ अभिनंदन किया जाता है।

आप अचानक से आम से खास हो जाते हैं, हर कोई आपको पहचानने लगता है।बड़ा कमाल का अनुभव होता है, जिसे शब्दों में पिरो पाना मुमकिन नहीं। 

विद्यालय सरकारी और निजी दोनो प्रकार के होते हैं। आजकल ऐसी लोगों की धारणा हो गई है की सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती, केवल निजी स्कूलों में ही पढ़ाई होती है।

यह धारणा गलत है।इसी बात का लाभ ढेरों विद्यालय वाले उठाते हैं।हर माता पिता अपने अपने बच्चों को सर्व श्रेष्ठ शिक्षा देना चाहते हैं किंतु सबकी हैसियत इतनी नहीं होती की वो इन विद्यालयों की मोटी शुल्क राशि को भर सकें।

आजकल शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। सभी केवल अपनी अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं।बच्चों के भविष्य की किसी को चिंता ही नहीं है। दिन पर दिन शिक्षा का स्तर गिरता ही जा रहा है।

विद्यालय ही तो वो मध्यम है, जहां से देश के भविष्य का सृजन होता है।सरकार ने इस संबंध में कई नियम बनाए हैं परंतु उन सभी नियमों का पालन तो हम आम जनता को ही करना है।

मेरे विद्यालय पर निबंध 200 शब्दों मे। 

विद्यालय पर निबंध 200 शब्दों में।
विद्यालय पर निबंध 200 शब्दों में।

जैसा की हमलोग बहुत अच्छे से जानते हैं की विद्यालय का संधि विच्छेद विद्या + आलय होता है जिसमें की विद्या का तात्पर्य ज्ञान से तथा आलय का तात्पर्य घर से है।अर्थात ज्ञान के घर को, उसके संग्रह को ही विद्यालय कहा जाता है।

विद्यालय हमारे जीवन में अपनी एक अहम वो महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसे की चाह कर भी हम अपने जीवन से अलग नहीं कर सकतें।

जैसा की हमारे आस परोस, समाज आदि में कहा भी जाता है की शिक्षा के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है, वो मनुष्य होते हुए भी पशु के समान है और अगर हम खुद को पशु की गणना में न गिने जाने की कोशिश कर रहें हैं तो इसका मात्र एक ही उपाय है की प्रतिदिन नियमित रूप से विद्यालय जाना और मन लगाकर पढ़ाई करना क्योंकि विद्यालय जाने के बाद भी जब तक हम मन  लगाकर पढ़ाई नहीं करते तो हमारे प्रतिदिन नियमित रूप से विद्यालय जाने का कोई मतलब ही नहीं रह जाता।

ये जरूरी नहीं है की हम औपचारिक रूप से विद्यालय जाकर ही शिक्षा का, ज्ञान का अर्जन कर सकते हैं बल्कि यदि हम चाहें तो किसी वृक्ष के नीचे बैठकर भी हम औपचारिक रूप से न सही परंतु अनोपचारिक रूप से ही शिक्षा को ग्रहण कर सकते हैं।

विद्यालय जाने का आशय शिक्षा ग्रहण करने से है, एक अच्छा इंसान बनने से है, अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने से है परंतु शिक्षा का आशय केवल हमारे शिक्षित होने से ही नहीं है बल्कि हम अपने जीवन में दूसरों के साथ अपना कैसा व्यवहार रखते हैं, अपने से बड़ों या छोटों को किस प्रकार सम्मान देते हैं आदि से है।

शिक्षा न केवल हमें एक उज्ज्वल भविष्य प्रदान करती है बल्कि यह हमें एक अच्छा इंसान भी बनाती है जो की हमारे जीवन , हमारे समाज, हमारे राष्ट्र, हमारे देश आदि के लिए बहुत मायने रखती हैं।

विद्यालय पर निबंध 150 शब्दों में। विद्यालय पर निबंध 10 लाइन। 

विद्यालय पर निबंध 150 शब्दों में
विद्यालय पर निबंध 150 शब्दों में

जैस की हमलोग बहुत अच्छे से जानते हैं की विद्यालय का तात्पर्य विद्या के संग्रह से है, उसके घर से है।

शिक्षा जगत में विद्यालय ने अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है जिसे की नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

विद्यालय में शिक्षा, पढ़ाई लिखाई, खेल कूद आदि के साथ साथ और भी बहुत कुछ सिखाए जाते हैं।

जैसे की अनुशासन, समय का हमेशा सदुपयोग, एक दूसरे की मदद करना, समर्पण को भावना आदि जो की एक अच्छे वो सच्चे जीवन के लिए बहुत ही आवयश्यक है।

प्राचीन काल में विद्यालय दूर होने के कारण लड़कियों को विद्यालय जाने में काफी कठिनाई होती थीं।

विद्यालय दूर होने वो शिक्षा के महत्व को न समझने के कारण वो शिक्षा से वंचित रह जाती थीं जो की हमारे समाज में एक बहुत ही बरी वो गंभीर समस्या बनी हुई थी।परंतु अब ऐसा बिलकुल भी नहीं है।

आज के समय में सभी जगह विद्यालय खुल चुकी है और लड़कियां तथा लड़के विद्यालय भी जा रहे हैं और शिक्षा का आनंद भी ले रहे हैं।

अतः उपर्युक्त तथ्यों के माध्यम से विद्यालय पर निबंध, उसके महत्व, उसकी विशेषताओं को बहुत ही अच्छी तरह से समझा जा सकता है।

Sonam Kumari

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top