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मेरी पाठशाला पर निबंध [मेरी पाठशाला पर निबंध हिंदी] My School Essay In Hindi.

मेरी मेरी पाठशाला पर निबंध [मेरी पाठशाला पर निबंध हिंदी] My School Essay In Hindi. Meri pathshala par nibandh

हेलो जी आपका स्वागत है, मेरी पाठशाला पर निबंध पोस्ट में। अगर आप इंटरनेट पर मेरी पाठशाला पर निबंध की तलाश कर रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।

इस पोस्ट में आपको मेरी पाठशाला पर निबंध और मेरी पाठशाला से जुड़ी हुई बहुत सारी जानकारी मिलेंगी। जैसे मेरी पाठशाला पर निबंध, यह क्यों जरूरी है, इसको लिखा कैसे जाता है और भी बहुत कुछ।

तो बिना देर किए इस पोस्ट को शुरू करते हैं।अगर आपको पोस्ट अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा जरूर करिएगा।

 

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मेरी पाठशाला पर निबंध। मेरी पाठशाला पर निबंध हिंदी। My School Essay In Hindi. Meri pathshala par nibandh

मेरी पाठशाला पर निबंध।
मेरी पाठशाला पर निबंध।

पाठशाला का संधि विच्छेद पाठ + शाला होता है।जिसमें की पाठ का आशय पढ़ने से है और शाला का आशय घर से है अर्थात पढ़ने के घर को ही पाठशाला कहा जाता है।

प्रस्तावना : हमारी पाठशाला एक मंदिर के समान है जहां हम प्रतिदिन पढ़ने जाते हैं और अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए खुद को मानसिक रूप से, आध्यात्मिक रूप से, व्यावहारिक रूप से और भी बहुत सारे रूप से तैयार करते हैं।

हमें प्रतिदिन पाठशाला जाना बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि वो एक ऐसी ज्ञान दान जगह है जहां हमें प्रतिदिन, हर समय, हर पल कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है।

हमारे पाठशाला में बहुत विद्यार्थी, अलग अलग जगहों से, अलग अलग जाति, अलग अलग धर्म, अलग अलग संप्रदाय, अलग अलग पंथ आदि से आते हैं और वहां पर( पाठशाला में ) सबों के साथ सबों के द्वारा चाहें वो विद्यार्थी हो, चाहें वो शिक्षक शिक्षिका हो, या फिर कोई अन्य ही पर्सन क्यों न हो, एक समान व्यवहार किया जाता है किसी के साथ किसी तरह का भेद भाव नहीं किया जाता है।

मनुष्य अपने जीवन में जन्म से ही ज्ञानी नहीं होता है बल्कि इस धरती पर आकर ही कुछ न कुछ सीखता है या फिर किसी विषय पर ज्ञान प्राप्त करता है।मानव जीवन को सभ्य बनाने के लिए सबसे बड़ा योगदान पाठशाला का होता है।

पाठशाला के माध्यम से ही अपने जीवन को सही दिशा में केंद्रित करने में मदद मिलती है।सही दिशा वो शिक्षा से ही किसी भी बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की शुरुवात होती है और सही शिक्षा हमें पाठशाला में ही प्राप्त होती है।

हमारा पाठशाला तीन मंजिला है। मेरी पाठशाला मेरे लिए एक मंदिर है। वह गायत्री मंदिर से आधे किलोमीटर की दूरी पर शोर शराबा, धुवां, अशुद्ध वातावरण आदि से दूर बनाया गया है ताकि बच्चों को शांतिपूर्ण शिक्षा मिल सकें।

उनका ध्यान शोर शराबा में ही केंद्रित होकर न रह जाए। मेरी पाठशाला बहुत बड़ी है। वहां बहुत बड़ा खेलने के लिए फील्ड है जिसमें की लंच के समय लंच खाने के बाद सभी बच्चे बहुत ही खुशी खुशी खेलते हैं।

उस फिल्ड के अगल बगल में बहुत सारे फूल पत्ती, वृक्ष आदि लगे हुए हैं जो की पाठशाला की शोभा को बढ़ाने के साथ साथ वहां के वातावरण को भी साफ वो स्वच्छ रखने में काफी मदद करते हैं। जिससे की सभी बच्चों को शुद्ध शुद्ध वायु मिलती है।

हमारे पाठशाला में सब कुछ बिलकुल समय सारणी पर होता है। जैसे की साफ सफाई, प्रार्थना, कक्षा की शुरुवात आदि। मेरे पाठशाला में छोटे बच्चों के खेलने के लिए झूलों, लुडों गोटी, कैरमबोर्ड, रस्सी कूद आदि का प्रबंध भी किया गया है ताकि बच्चों को पढ़ाई में मन भी लगा रहे और उनका शारीरिक विकास भी बहुत अच्छे से हो सकें।

वहां पर विद्यार्थियों के लिए एक एकांत जगह में पुस्तकालय का भी निर्माण किया गया है ताकि बच्चों को उनके मन के मुताबिक किताबें पढ़ने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो सकें और वो बिना किसी रुकावट के उस पुस्तकालय में जाकर एकांत माहोल में पढ़ाई कर सकें।

हमारा पाठशाला सुबह के समय पर शुरू होता है। पाठशाला पहुंचने के पश्चात सर्वप्रथम वहां साफ सफाई होती है, कुरे कचरे को एक जगह एकत्रित कर के कुरेदान में रखा जाता है ताकि कचरा इधर उधर फैल कर गंदगी न फैल सके।

तत्पश्यात सभी विद्यार्थी गण अपने अपने हाथ धोकर पाठशाला की प्रार्थना करने के लिए कतार में लाइन से खरे हो जाते हैं। प्रार्थना के पश्चात सभी विद्यार्थी अपने अपने कक्षा में जाते हैं।तत्पश्च्यात कक्षा में वर्ग शिक्षक आते हैं। सभी बच्चे खरे होकर बहुत ही आदर से उनका सुबह का अभिवादन करते हैं, उन्हें गुड मॉर्निंग बोलते हैं।

तत्पश्चात कक्षा में अटेंडेंस होता है जिसे की हमलोग हाजरी भी बोलते हैं।हमारे पाठशाला में बहुत ही करी अनुशासन है जिसे की हम सभी को बहुत ही सख्त से उनका पालन करना होता है

जो की हमारे जीवन वो जीवन को सफल बनाने के लिए बहुत ही आवश्यक है।हमारे पाठशाला में सभी बच्चों के लिए एक तरह के ही यूनिफॉर्म लागू किया गया है जिसमें की कक्षा 1 से 5 तक के लड़कियों के लिए उपर का व्हाइट (सफेद) शर्ट और नीचे ब्लू स्कर्ट वो लरको के लिए व्हाइट शर्ट वो ब्लू पेंट है।

तत्पश्यात कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों में से लड़कियों के लिए डार्क ब्लू शूट और आसमानी पजामा वो दुपट्टा है और लरकों के लिए व्हाइट शर्ट वो ब्लू फुल पेंट है।

हमारे पाठशाला में विद्यार्थियों के जरूरतों के हिसाब से उनके लिए सारी चीजें उपलब्ध कराई गई हैं। जैसे की पुस्तकालय, खेलने के लिए विभिन्न तरह की सामग्री, क्लब( जिसमें की बच्चों की कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है, उन्हें सभी के द्वारा देखा जाता है, सराहा जाता है। 

और जहां किसी चीज की कमी हो उसको दूर किया जाता है) आदि हैं।हमारे पाठशाला में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चे पढ़ने आते हैं जिसमें की छात्र और छात्रा दोनो हैं। हमारे पाठशाला में टोटल 25 अध्यापक हैं जिसमें से की 17 शिक्षक, 7 शिक्षिका, और एक प्रधानाध्यपक हैं।

वहां पर सभी शिक्षक, शिक्षिका वो प्रधानाध्यपक बहुत ही ज्यादा पढ़े लिखे है।उनकी प्रथम कोशिश यही रहती है की कैसे बच्चों के भविष्य को सही दिशा प्रदान किया जाए, उनके लिए अनुचित के जगह पर उचित राह चुना जाए, गलत के जगह पर सही राह को अपनाया जाए।

हमारे पाठशाला में शिक्षण की प्रक्रिया में सभी बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।यदि किसी बच्चे को किसी सवाल में, या किसी टॉपिक में कही पर समझने में कठिनाई होती है तो वो बिना संकोच किए शिक्षक से दोबारा, तिबारा पूछ सकता है और तब तक पूछ सकता है जबतक उस बच्चे को पूरी तरह से समझ न आ जाए

और शिक्षक भी उस बच्चे की परेशानियों को दूर करने में अपनी  महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वो बहुत ही विनर्मता से उस बच्चे की समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करते हैं और अंततः सफल भी हो जाते हैं।

निष्कर्ष: अतः उपर्युक्त तथ्यों के माध्यम से पाठशाला पर निबंध को बहुत ही अच्छी तरह से समझा जा सकता है।पाठशाला किसी के लिए एकल संपत्ति नहीं है बल्कि ये तो सबों के लिए एक सार्वजनिक संपत्ति है जिस पर सबों का बराबर का अधिकार होता है।

यदि उस पर किसी प्रकार का कोई संकट भी आ जाए तो हम सबों को उसके रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए, सबों को अपने अंदर जागरूकता लानी चाहिए ताकि उस पर कोई आंच न आ सके।

पाठशाला विद्यार्थियों के लिए केवल किताबी ज्ञान का ही माध्यम नहीं है बल्कि यह विद्यार्थियों को खेल कूद, गाना बजाना, वाद विवाद आदि के अवसर उपलब्ध कराते हैं जिनसे की उनका आध्यात्मिक विकास के साथ साथ शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सामाजिक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास हो सकें।

पाठशाला से हमें हर प्रकार के ज्ञान का स्रोत मिलता है जो की हमारे लिए बहुत ही लाभदायक है।

अतः हमारी पाठशाला हमारे लिए हर प्रकार से प्रेरणास्रोत है, लाभदायक है जो की हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए एक उत्तम माध्यम है।

पाठशाला के माध्यम से ही हम पढ़ लिख कर एक उज्ज्वल भविष्य को प्राप्त करने के साथ साथ एक अच्छा इंसान भी बन सकते हैं जो की हमारे लिए, हमारे परिवार के लिए, हमारे समाज के लिए, हमारे देश वो राष्ट्र के लिए एक बहुत ही सम्मान वो गर्व की बात है।

मेरी पाठशाला पर निबंध 400 शब्दों में।

पाठशाला पर निबंध 400 शब्दों में।
पाठशाला पर निबंध 400 शब्दों में।

पाठशाला का आशय ज्ञान संग्रहालय से है। पाठशाला हमारे अंधकारमय जीवन को प्रकाश की ओर ले जाने का एक ऐसा माध्यम है जिसको अपनाने के पश्चात हमारे जीवन में केवल प्रकाश ही प्रकाश है, अंधकार का दूर दूर तक नामों निशान तक नहीं है।

पाठशाला एक ऐसी महत्वपूर्ण संस्थान है जहां पर विद्यार्थियों के जरूरतों के सारे सामान वो पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है।

उनके पढ़ाई लिखाई से लेकर शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सांस्कृतिक विकास, सामाजिक विकास, संज्ञानात्मक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास तक के पहलुओं को नजर अंदाज नहीं किया जाता है।

हर एक पहलुओं को उनकी जरूरतों के हिसाब से उन पर आजमाया जाता है, उन पर लागू किया जाता है जिनसे की उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए भविष्य में किसी प्रकार की कोई कठिनाई न हो सकें।

हमारी पाठशाला में टोटल 25 अध्यापक हैं जिनमें से 17 शिक्षक, 7 शिक्षिका और 1 प्रधानाध्यपक हैं। हमारी पाठशाला में प्रधानाध्यापक महोदय के लिए एक अलग ही कक्ष है जिनमें से बैठे बैठे ही वो पूरे पाठशाला में चल रही गतिविधियों को आसानी से देख सकते हैं।

उस कक्ष के दीवार में विद्यार्थियों और अध्यापकों दोनो के लिए समय सारणी बनी हुई हैं जिनका बहुत ही सख्ती से सबको पालन करना परता है।

उस कक्ष में आदर्श वो प्रसिद्ध महापुरुषों के नाम वो चित्र भी अंकित हैं जो की सबों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।उन्हें देखकर सबों को अपने अपने जीवन में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है।

उस कक्ष में सभी शिक्षक वो शिक्षिका एक साथ बैठकर बच्चों के उचित मार्ग दर्शन के लिए आपस में विचार विमर्श करते हैं। नई नई योजनाओं, गतिविधियों आदि को बच्चों के उत्तम भविष्य के लिए लागू करने में सभी शिक्षक, शिक्षिकाओं के साथ साथ प्रधानाध्यपक भी शामिल होते हैं और उत्तम उचित करियों को बच्चों के लिए अपनाते हैं।

यदि कोई बच्चा किसी प्रकार का जान बूझ कर गलती करें जिनसे की किसी दूसरे बच्चों को तकलीफ हों तो पाठशाला के प्रधानाध्यपक द्वारा ही उस बच्चे को उचित तरीके से समझाया जाता है ताकि भविष्य में उस बच्चे या किसी और बच्चे से वो गलती दोबारा न हो सकें।

पाठशाला में छोटे से छोटा और बरे से बड़ा गतिविधियों पर प्रधानाध्यपक की नजर रहती है जिससे की पाठशाला का कार्य काल सुचारू रूप से बिना किसी रुकावट के चलते रहता है।

पाठशाला के पुस्तकालय में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की जरूरत की सभी पुस्तकें मौजूद रहती हैं।उसके साथ साथ वहां दैनिक समाचार पत्र, मासिक पत्रिका, साप्ताहिक पत्रिका आदि की भी व्यवस्था की गई है, जिनसे की पाठशाला के विद्यार्थियों के साथ साथ वहां के अध्यापकगण भी उनका लाभ आसानी से उठा सकें।

पुस्तकालय में रखी पुस्तकों को एक सीमित समय के लिए घर भी लाया जा सकता है।पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष बहुत ही अच्छे वो सच्चे इंसान हैं।वो काफी परिश्रमी वो मेहनती हैं, अपने कार्य को बहुत ही लग्न वो मेहनत से करते हैं।

मेरी पाठशाला पर निबंध 250 शब्दों में। 

पाठशाला पर निबंध 250 शब्दों में।
पाठशाला पर निबंध 250 शब्दों में।

जैसा की हमलोग बहुत अच्छे से जानते हैं की पाठशाला का आशय ज्ञान के संग्रहालय से है। वो एक ऐसी जगह है जहां कोई भी, बिना किसी रुकावट, बना किसी भेदभाव के पढ़ने आते हैं और अपने ज्ञान को और भी आगे बढ़ते हैं वो एक नई दिशा में लेकर जाते हैं।

हमारे पाठशाला में  अध्यापक गण से लेकर छात्रगण तक, सब कोई बहुत अच्छे हैं। पाठशाला में अध्यापक द्वारा दिए गए लिखित कार्य में यदि किसी प्रकार की अशुद्धि हो जाती है

तो अध्यापक गण हमें उस अशुद्धि को बताते हैं ताकि हम हमारे द्वारा किए गए अशुद्धि को सुधार सकें, उसका शुद्धिकरण कर सकें ताकि हमें बाद में ऐसी अशुद्धियों को दोहराना न परे।

हमारे पाठशाला के अध्यापक गण बहुत ही अच्छे वो सच्चे हैं। वो हमें अनुशासन के करी नियमों का पालन करना सीखते हैं।

पाठशाला में हो रही खेल कूद की प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, लेखन प्रतियोगिता आदि सभी में भाग लेने के लिए हमें प्रेरित करते हैं जो की हमारे विकास की प्रक्रिया को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जिस प्रकार से शिक्षा, पाठशाला, ज्ञान आदि बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए अति आवश्यक है ठीक उसी प्रकार से खेल कूद भी बच्चों के शारीरिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है।

इससे व्यायाम के साथ साथ शारीरिक विकास भी होता है। खेल कूद के माध्यम से भी बच्चे अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं तथा अपने वो अपने परिवार के साथ साथ अपने समाज वो देश का नाम भी रोशन कर सकते हैं जो की हमारे वो हमारे देश के लिए बहुत ही गर्व वो सम्मान की बात है।

मेरी पाठशाला पर निबंध 100 शब्दों में। 

पाठशाला पर निबंध 100 शब्दों में
पाठशाला पर निबंध 100 शब्दों में

जैसा की हमलोग बहुत अच्छे से जानते हैं की पाठशाला का आशय ज्ञान के संग्रहालय से है।

दूसरे शब्दों में,जहां ज्ञान का असीमित भंडार हो, ज्ञानदान का प्रचार प्रसार हो, बिना किसी भेदभाव के दूसरों को ज्ञान दिया जाता हो, सबको एक समान भाव से देखा जाता हो, वो पाठशाला कहलाता है।

वहां पर बच्चों की सारी जरूरतों का विशेष रूप से खयाल रखा जाता है।जैसे की पढ़ाई लिखाई से लेकर खेल कूद आदि के सामान तक को उनके लिए रखा जाता है।

जिस प्रकार से भक्तों के लिए उनका मंदिर होता है और उस मंदिर में वास करने वाले उनके भगवान होते हैं ठीक उसी प्रकार पाठशाला हमारे लिए एक मंदिर है के वहां के अध्यापकगण हमारे लिए भगवान हैं।

इसलिए हमें सदैव अपने शिक्षकों और शिक्षकाओ का सम्मान करना चाहिए, उनके बताए गए रास्ते पर चल कर अपने लिए सफलता के मार्ग को प्रशस्त करना चाहिए।

FAQs: मेरी पाठशाला पर निबंध। 

1. मेरी पाठशाला पर निबंध 10 लाइन। 

मेरी पाठशाला का नाम आदर्श मध्य विद्यालय खैरा है।

मेरी पाठशाला के सामने एक भव्य खेल का मैदान है।

मेरी पाठशाला में फूलों का बगीचा है, उसमें रंग बिरंगे फूल लगे हुए हैं।

मेरी पाठशाला मेरे घर से दूर है, इसलिए हमलोग प्रतिदिन पाठशाला साइकिल से जाते हैं।

मेरी पाठशाला बहुत ही भव्य और सुंदर है।

मुझे मेरी पाठशाला बहुत ही ज्यादा पसंद है।

मेरी पाठशाला का परिसर बहुत सुंदर और स्वच्छ है।

पाठशाला के कर्मचारी रोज पाठशाला को साफ सफाई करते हैं।

मेरी पाठशाला में वाचनालय से लेकर खेलने की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

मेरे पाठशाला के सारे शिक्षक बहुत ही मेहनती हैं।

2. मेरी पाठशाला पर निबंध हिंदी 30 लाइन। 

मेरी पाठशाला का नाम आदर्श मध्य विद्यालय खैरा है।

मेरी पाठशाला तीन मंजिला इमारत का है।

हमारा पाठशाला हमारे लिए एक मंदिर के समान है।

हमारा पाठशाला सुबह के समय पर होता है।

पाठशाला में सबसे पहले साफ सफाई के बाद प्रार्थना होती है।

हमारी पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक यूनिफॉर्म लागू किया गया है, जिसे की सभी बच्चों के ले पहनना अनिवार्य है।

हमारे पाठशाला में कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की पढ़ाई होती है।

हमारी पाठशाला में बहुत ही सख्त अनुशासन है जिसका सभी को पालन करना अनिवार्य है।

हमारे पाठशाला में टोटल 25 अध्यापक गण हैं जिनमें की 17 शिक्षक, 7 शिक्षिका और 1 प्रधानाध्यपक हैं।

हमारी पाठशाला में बहुत सारे पेड़ लगे हुए हैं, जिनकी छाया में बच्चे लंच के समय एक साथ बैठकर टिफिन खाते हैं।

हमारी पाठशाला में छोटे बच्चों को खेलने के लिए झूलों का भी प्रबंध किया गया है।

हमारे पाठशाला में सभी विद्यार्थियों के पढ़ने के लिए एक पुस्तकालय का भी निर्माण किया गया है जिसमें विद्यार्थी निश्चिंत होकर पढ़ाई कर सकते हैं।

हमारे पाठशाला में एक बड़ा सा मैदान भी है जहां प्रतिदिन हमें खेलने के लिए ले जाया जाता है।

हमारे पाठशाला में हमारे जरूरत की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

हमारे विद्यालय में सभी शिक्षकों का केवल एक ही लक्ष्य होता है की वो बच्चों का उज्ज्वल भविष्य प्राप्त करने में उनकी सहायता कर सकें।

हमारे पाठशाला में बच्चों को बहुत से विषयों की शिक्षा दी जाती है।

हमारे पाठशाला में प्रधानाध्यपक के लिए एक अलग की कक्ष है।

अपने कक्ष में बैठे ही प्रधानाध्यापक महोदय सारे पाठशाला में चल रही गतिविधियों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

हमारे पाठशाला में सभी प्रकार की गतिविधियां प्रधानाध्यपक की देख रेख में होती है।

हमारे पाठशाला के पुस्तकालय में हिंदी समाचार पत्र और कई मासिक महत्वपूर्ण वार्षिक पत्रिकाएं भी आती हैं।

हमारे पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष बहुत ही परिश्रमी और मेहनती व्यक्ति हैं।

हमें हमारे पाठशाला के पुस्तकालय से हर जरूरी पुस्तक मिल जाती हैं जिसे की हम सीमित समय के लिए घर भी लेकर आ सकते हैं।

हमारे पाठशाला में अध्यापक गण लिखित कार्य का अभ्यास भी करवाते हैं।

हमारे पाठशाला के अध्यापक बहुत ही दयालु हैं जो हमें अनुशासन का अनुसरण करना सीखते हैं।

हमारे पाठशाला में खेल कूद जैसी गतिविधियों पर विशेष महत्व दिया जाता है।

पाठशाला में सभी विद्यार्थियों के लिए खेल कूद में भाग लेना अनिवार्य होता है जिस कारण पाठशाला के खिलाड़ी कई खेलों में पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं।

हमारे पाठशाला में बहुत सी खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिससे की विधार्थी अपने शारीरिक और मानसिक विकास में वृद्धि कर सकें।

हमें अपने पाठशाला के नियमों और अनुशासन का श्रद्धा पूर्वक अनुपालन करना चाहिए।

पाठशाला एकल संपत्ति न होकर यह एक सार्वजनिक संपत्ति है।

पाठशाला से हमें हर प्रकार के ज्ञान का प्रकाश मिलता है।

अतः पाठशाला हमारे लिए बहुत ही लाभदायक है।

3. मेरी पाठशाला पर निबंध हिंदी 15 लाइन। 

मेरी पाठशाला का नाम आदर्श मध्य विद्यालय खैरा है।

पाठशाला का अर्थ होता है जिस स्थान पर ज्ञान का वास हो।

मानव जीवन को सभ्य बनाने के लिए सबसे बड़ा योगदान पाठशाला का ही होता है।

मेरे पाठशाला में सभी जाति, धर्म, पंथ, संप्रदाय वर्ग आदि के बच्चे पढ़ने आते हैं।

पाठशाला में सभी बच्चों के साथ एक समान व्यवहार किया जाता है।

हमारा पाठशाला एक मंदिर के समान है जहां हम प्रतिदिन पढ़ने आते हैं।

पाठशाला आने पर ही हम अपने जीवन में उज्वल भविष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

हमें प्रतिदिन पाठशाला जाना बहुत ही अच्छा लगता है।

सही शिक्षा से ही किसी भी बच्चे का भविष्य निश्चित होता है और सही शिक्षा की शुरुवात पाठशाला से ही होती है।

मेरी पाठशाला तीन मंजिला इमारत का है।

हमारे पाठशाला में बहुत ही सख्त अनुशासन है जिसका सभी को बहुत ही गंभीर रूप से पालन करना होता है।

पाठशाला बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को प्राप्त करने में उनकी सहायता करते हैं।

हमारे पाठशाला में बच्चों को बहुत सारे विषयों पर शिक्षा दी जाती है।

हमारे पाठशाला में बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को लेकर किसी भी गतिविधियों पर बहुत ही गंभीर रूप से विचार विमर्श किया जाता है।

हमारे पाठशाला में टोटल 25 अध्यापक गण हैं जिनमें से 17 शिक्षक, 7 शिक्षिका और 1 प्रधानाध्यपक हैं।

अतः मुझे मेरे पाठशाला गर्व है।

4. मेरी पाठशाला पर निबंध 5 लाइन। 

मेरी पाठशाला का नाम आदर्श मध्य विद्यालय खैरा है।

हमारा पाठशाला एक मंदिर के समान है, जहां हम रोज पढ़ने आते हैं।

पाठशाला एक ऐसा माध्यम है जहां जाने से हमें हमारे उज्ज्वल भविष्य की प्राप्ति होती है।

हमारे पाठशाला में सभी को एक समान दर्जा दिया जाता है, सबों के साथ एक समान व्यवहार किया जाता है।

हमें प्रतिदिन पाठशाला जाना बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि पाठशाला एक ऐसा स्थान है जहां पर हमें प्रतिदिन कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है।

Sonam Kumari

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