कहानी : किसान की बेटी | Kishan Ke Beti Hindi Story.
एक किसान के परिवार में एक 5 साल की नन्ही सी लड़की रहती थी उसके माता पिता उसे बहुत प्यार और दुलार करते थे उसके माता पिता कि हमेंशा लालसा रहती है कि हमारी बेटी पढ़ लिख कर देश के लिए कुछ करे जिससे हमारा सर गर्व से उचा हो मगर ये काम असंभव सा लगता था क्यूँकी उसके माता पिता खेतों में काम करते थे।
वह एक सामान्य किसान थे लेकिन उसके पिता हिम्मत बांध कर अपनी बेटी का नामांकन एक प्राइवेट कान्वेंट में करवा दिया अब खुशी भी स्कूल जाने लगी डेली स्कूल जाती है और खुब अच्छे से खेलती है अपने माता पिता के साथ रहती है एक अच्छे बच्चे की तरह वो सारा काम करती है।
ऐसे करते करते लगभग 6 महीने बीत जाते हैं तब एक दिन खुशी स्कूल से घर आती है तो उसका चेहरा बहुत उदास होता है जिसे देख कर उसके माता पिता अचंभित में पर जाते हैं, तभी उसके पापा पुछते है बेटा क्या हुआ क्यूँ इतने उदास हो तब खुशी रोते हुए गले लगा लेती है,
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और बोलती है कि आज स्कूल में मुझे क्लास से बाहर रखा गया था तभी उसकी माता भी पुछती है क्यों रखा गया था तो वो बताती है कि 6 महीने से फिस नही जमा हुई जिसके कारण मुझे प्रिंसिपल ऑफिस में बुला कर डांटा जाता है और कहा जाता है कि अगर कल फिस जमां नही हुई तो आपका नाम काट दिया जाएगा।
स्कूल से निकाल दिया जाएगा तब ये सब बात सुनकर उसके माता पिता बहुत दुखी होते हैं तभी उसके पिता जी बोलते हैं कि कोई बात नहीं इस साल फसल बहुत अच्छी हुई थी इस साल हम पक्का आपका फिस जमां कर देंगे बस आप अच्छे से पढ़िये तो खुशी खुश होकर बोलती है ठिक है।
फिर सब लोग हसते हुए और सारे दुखों को भुला कर खाना पीना खा कर शाम को सब लोग अपने अपने बिस्तर पर सोने चले जाते हैं फिर उसी रात को बहूत जोड़ से हवा और बारिश आती है जिससे खुशी के पापा अंदर से डर जाते हैं और सोचते है पिछली फसल भी मेरी इसी तरह बर्बाद हुई थी।
इस साल भी ना बर्बाद हो जाए बारिश तेज होने के कारण वो रात में खेत नही जा पाते है मगर जैसे ही सुबह होती है तो सबसे पहले वह अपने फसल देखने जाते हैं वह जैसे ही अपनी फसल के करीब पहुचते है तो मानों उसका सारा सपना ही टुट गया क्यूँ कि इस साल भी फसल बर्बाद हो गई है।
फिर वह नम आंखों से और दुखी मन से घर कि तरफ लोटतें है और सोचता है कि इस साल भी मैं अपनी पत्नी के लिए एक नई साड़ी और अपनी बेटी के स्कूल के फिस भी नही भर पाउंगा जिसे सोच कर अत्यंत दुखी होता है और अपने पत्नी और अपने बेटी के साथ बैठ कर ये बोलता है कि इस साल भी फसल बर्बाद हो गई है।
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जिसे सुनकर उसकी पत्नी भावुक हो जाती है और खुशी को गले लगाकर बोलती है कि तुम कल स्कूल चलना हम लोग भी तुम्हारे साथ चलेंगे और तुम्हारे प्रिंसिपल से बात करेंगे फिर सुबह खुशी और खुशी के माता पिता साथ में स्कूल जाते हैं।
स्कूल में प्रिंसिपल से उसके पापा बोलते हैं सर कुछ महीनों कि और समय दे देते तो मैं अपकी सभी फिस जमां कर देता जिसे सुनकर प्रिंसिपल आग बबुला हो जाता है और बोलता है पिछले 6 महीने से यही सुन रहा हूँ अब मैं आपको एक दिन का भी टाइम नही दे सकता हूँ
और मैं आपकी बेटी का नाम काट रहा हूं जिसे सुनकर उसके माता पिता अत्यंत दुखी होकर सिफा़रीस करते है कि नाम मत काटीये मगर उनकी एक ना चली और खुशी का नाम कट जाता है जिससे खुशी और उसके माता पिता उदास मन से घर लोट आते है अब खुशी कि पढ़ाई पुरी तरह बंद नजर आती है।
जिससे उसके माता पिता के देखे हुए सपने को मानो अलविदा कह गया हो क्या किसान का परिवार खेती पर निर्भर हो कर अपने बच्चों के सपने को साकार कर सकते है ?
Credit : अभिषेक सिंह