हा बिहार हु मैं कविता | Ha Bihar Hu Mai Poem | Abhishek Singh
पूर्णियां सा प्यारा, मिथिला सा मिठास हु मैं,
फणिश्वर सा कवि, मधुबनी सा चित्रकार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।
माँ सीता सा प्यारी, शुन्य का अविष्कारी,
चाणक्य सा कुट निती, ब्राह्मणी गंगा की स्वच्छ निर्मल धार हूँ मैं।,
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।
गोविंद सा बलिदानी, कुवर सा स्वभिमानी,
दिनकर सा ज्ञानी, देश का गौरव राजेंद्र प्रसाद हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।
प्रभासा सा मन में, गीरीश सा दिल में,
सितामढ़ी सा शानदार, जीवन का आदान-प्रदान हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।
फिर से लिखते हैं, बिहार की गाथा,
यहाँ की धरती गर्व से सजी हुई है सदा।
जय बिहार! जय हिंद! आगे बढ़ते चलें,
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Credit : अभिषेक सिंह Abhishek Singh (कवी)