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विद्यार्थी जीवन पर निबंध [विद्यार्थी जीवन पर निबंध हिंदी में]। Essay On Student Life in Hindi.

विद्यार्थी के जीवन में विद्यार्थी जीवन के समय का काफी विशेष महत्व होता है। विद्यार्थी अपने छात्र जीवन में शिक्षा के महत्व को बहुत ही अच्छी प्रकार से समझता है।
जब एक विद्यार्थी अपने विद्यालय में पठन पाठन की प्रक्रिया के लिए प्रवेश करता है तो उसका मुख्य उद्देश्य ज्ञान को अर्जित करना होता है।
विद्यार्थी जीवन पर निबंध प्रस्तावना : जब कोई छात्र ज्ञान अर्जन के लिए विद्यालय जाता है तो वहां पर उसको नए नए शिक्षक, शिक्षिका , नए सहपाठी और एक शांत वो स्वच्छ वातावरण मिलता है।वहां पर वो एकाग्र चित्त हो कर विद्या अध्ययन करता है।
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छात्र जीवन बहुत ही चंचल होता है, उसके मन में नित्य प्रतिदिन नए नए विचार आते हैं ।वो विकार नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही प्रकार के होते हैं।
छात्र अपने गुरुजनों के द्वारा सिखाए गए सकारात्मक विचारों का मार्ग दर्शन करता है । अगर किसी भी तरह से विद्यार्थी अपने छात्र जीवन के महत्व को नहीं समझ पाता है तो उसका भुगतान उसे जीवन भर भुगतना पड़ता है।
इस प्रकार वो गलत कार्यों का शिकार भी हो जाते हैं और उसके छात्र जीवन का कोई महत्व ही नहीं रह जाता है ।
वर्तमान समय में विद्यार्थी को शासन के द्वारा सभी प्रकार की शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है जिससे की विधार्थी अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें।
विद्यार्थियों को विद्यालयों , शिक्षण संस्थानों के नियमों और अनुशाशनों का विधि पूर्वक पालन करना चाहिए। विद्या छात्र का निजी धन होता है , जिसे की कोई भी चुरा या छीन नहीं सकता और कोई भी पारिवारिक बंटवारा में बंट नहीं सकता।
यह धन छात्र के सम्पूर्ण जीवन काल तक काम आता है। विद्यार्थी जीवन छात्रों का स्वर्णिम युग होता है।यह जीवन एक स्वतंत्र जीवन होता है।
विद्यार्थी जीवन में छात्र को सही गलत , वैध अवैध , नैतिक अनैतिक , व्यवहार दुर्व्यवहार के फर्क को बहुत ही अच्छी प्रकार से सिखाया जाता है।
एक अच्छे विद्यार्थी का पहला गुण अनुशासन होता है। वह अनुशासन में रह कर अपने माता पिता , गुरुजनों के आदेशों का पालन करते हुए एक अनुशासित विद्यार्थी होने का कर्तव्य निभाता है।
ये कर्तव्य निष्ठा ही उसको आगे के मार्ग पर चलने के लिए बहुत ही अधिक प्रेरित करती है। एक कर्तव्यनिष्ठ विद्यार्थी ही कठिन संघर्ष करके परीक्षा में बहुत अच्छे अंक प्राप्त कर अपने विद्यालय , गुरुजनों और अपने माता पिता का सिर गर्व से ऊंचा रखता है । ये सभी उपलब्धियां उसको उच्च शिक्षा के लिए हमेशा प्रेरणा देती हैं।
विद्यार्थी जीवन मानवीय गुणों को अंगीभूत करने का काल है। सुख दुख , हानि लाभ , सर्दी गर्मी से परे होकर जब विद्यार्थी नित्य अध्ययन शील हो जाता है तब उसका जीवन सफल हो जाता है।
विद्या प्राप्ति के निमित्त कुछ कष्ट तो उठने ही परते हैं, आग में तपे बिना सोना शुद्ध नहीं होता। इसलिए आदर्श जीवन में सुख की चाह न रखते हुए केवल विद्या की चाह रखता है ।
वह धैर्य , साहस , ईमानदारी , लगनशीलता , गुरुभक्ति , स्वाभिमान जैसे गुणों को धारण करता हुआ जीवन पथ पर बढ़ता ही चला जाता है।
वह संयमित जीवन को जीता है ताकि विद्यार्जन में कोई बाधा उत्पन्न ना हो सके । वह नियमबध और अनुशासित रहता है। वह समय की पाबंदी पर विशेष ध्यान देता है।
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विद्या केवल पुस्तकों में ही नहीं होती है। ज्ञान की बातें केवल गुरुजनों के मुखारविंद से नहीं निकलती। ज्ञान तो झरने के जल की तरह प्रवाहमान रहता है।
विद्यार्थी जीवन इस प्रवाहमान जल को पीते रहने का काल है। खेल का मैदान हो या डेबिट डिबेट का समय , भ्रमण का अवसर हो अथवा विद्यालय की प्रयोगशाला , ज्ञान तो सर्वत्र भरा हुआ ही रहता है।
विद्यार्थी जीवन इन भांति भांति रूपों में बिखरे ज्ञान को समेटने का काल है। स्वास्थ्य संबंधी बातें इसी जीवन में धारण की जाती हैं।
व्यायाम और खेल से तन को इसी जीवन में पुष्ट कर लिया जाता है। विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के अलावा कोई ऐसा हुनर सिखा जाता है जिसका आवश्यकता परने पर उपयोग किया जा सकें।
गुण अवगुण , अच्छा बुरा , पुण्य पाप , धर्म अधर्म सब जगह है। विद्यार्थी जीवन में ही इनकी पहचान करनी होती है।
चतुर वह है जो सार ग्रहण कर लेता है और आसार वो सरे गले का त्याग कर देता है।सार है विद्या , सार है सद्गुण और आसार है दुर्गुण। विद्यार्थी जीवन में दुर्गुणों से एक निश्चित दूरी बना लेनी चाहिए।
जब बच्चा विद्यालय जाना शुरू कर देते हैं तो वो अपने नए नए शिक्षकों वो शिक्षिकाओं के संदर्भ में रह कर धीरे धीरे बहुत कुछ सीखना शुरू कर देता है।
जैसे की अपनी कक्षा के सिलेबस के अलावा वो बाहरी दुनियां के बारे में भी धीरे धीरे बहुत कुछ जानने लगते हैं की समाज क्या है , हमारे समाज में किस प्रकार के लोग, किस प्रकार की जातियां, किस प्रकार के रीति रिवाज देखने को मिलते हैं , ये सारी बातें वो विद्यालय में धीरे धीरे सीखने लगते हैं ।
विद्यार्थी जीवन मानवीय गुणों को अंगीभूत करने का काल है। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को या फिर ऐसे भी किसी इंसान को सदैव ही मधुर वाणी का महत्व समझते हुए उसका ही उपयोग अपनी बोल चाल में करना चाहिए।
अखाद्य तथा नशीली चीजों से परे रहना चाहिए। शारीरिक और मानसिक स्वच्छता पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।पर्यावरण सुधार के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए।विद्यार्थी जीवन समाप्त होने पर इन सब बातों पर विशेष ध्यान देना नासमझ के बराबर है।
विद्यार्थी जीवन में उनके बरों का योगदान।
अच्छे विद्यार्थी को हमेशा ही अपने माता पिता , शिक्षकों और अपने से सभी बरों की आज्ञाओं का हमेशा ही पालन करना चाहिए।जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों ही बहुत आवश्यक हैं।
विद्या का अंतिम लक्ष्य है की इस जीवन को मधुर तथा सुविधा पूर्ण बनाना।अनुशासन का भी यही लक्ष्य है।माता पिता बच्चे के प्रथम गुरु या शिक्षक होते हैं ।
माता पिता बच्चे को केवल जन्म ही नहीं देते बल्कि वो उन्हें पाल पोस कर बड़ा करते हैं।माता पिता एक बच्चे को बोलना ,चलना तथा उन्हें सभी संस्कार भी सिखाते हैं।
हमें अपने माता पिता द्वारा तय किए गए रास्ते या बताए गए रास्ते पर ही चलना चाहिए क्योंकि वो अपनी जिंदगी में कुछ भी कर सकते हैं परंतु अपने बच्चों को कभी गलत राह पर चलने की सलाह कभी भी नहीं दे सकते हैं।
गुरुओं , शिक्षकों अथवा शिक्षिकाओं के प्रति विद्यार्थी का परम कर्तव्य है की वह सभी का आदर करें तथा वह जो भी पाठ पढ़ाते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुन कर आत्मसात करें।
वह जो भी कार्य करने के लिए कहते हैं उसे तुरंत ही पूर्ण करने की चेष्टा करें।गुरु का उचित मार्गदर्शन विद्यार्थी को महानता के शिखर की ओर ले जाने में सक्षम है।
विद्यार्थी जीवन पर निबंध निष्कर्ष।
अतः उपर्युक्त तथ्यों के माध्यम से विद्यार्थी जीवन पर निबंध को बहुत ही अच्छी तरह से समझा जा सकता है। इसी प्रकार और भी ऐसी बहुत सी महत्वपूर्ण बातें है जो विद्यार्थी जीवन के महत्व को बहुत ही अच्छी तरह से दर्शाता है।
विद्यार्थी का उचित लगन , उनका कर्तव्य , समाज के प्रति योगदान आदि उन्हें सफल और बेहतरीन भविष्य की ओर ले जाती है। विद्यार्थी जीवन किसी भी मनुष्य के जीवन का सबसे अच्छा और यादगार काल होता है।
विद्यार्थियों को अपने विद्यार्थी जीवन काल में अपनी उचित शिक्षा , स्वास्थ्य, खेल कूद और व्यायाम पर पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें इस विद्यार्थी जीवन में बहुत ही परिश्रम और लगनशील होना चाहिए।
हर व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होने के लिए उचित शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही अधिक आवश्यक है।
विद्यार्थी जीवन पर निबंध 10 लाइंस।

विद्यार्थी जीवन छात्र जीवन का स्वर्णिम युग होता है।
विद्यार्थी जीवन एक स्वतंत्र जीवन होता है।
विद्यार्थी जीवन खुद के द्वारा सजाए गए सपनों को साकार करने का जीवन होता है।
यह जीवन काल 5 वर्षों की बाल्यावस्था से शुरू होकर किशोरावस्था तक समाप्त होता है।
ये समय छात्र के भविष्य का मूल आधार होता है।
विद्यार्थी जीवन में उनके द्वारा किया गया कठोर परिश्रम ही उनको संसार में प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाता है।
विद्यार्थी जीवन में उसके अंदर सदाचार , गुरुभक्ति ,अध्यवसाय , विनयशीलता , ईमानदारी , देशभक्ति , निःस्वार्थ भाव आदि गुणों का भंडार होता है।
विद्यार्थी जीवन में उसका एक मात्र उद्देश्य ज्ञान को अर्जित करना होता है।
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विद्यार्थी जीवन ही एक अच्छा जीवन होता है।
विद्यार्थी जीवन एक कोरे कागज की तरह होता है जिस पर वह अपने परिश्रम की मोहर लगा कर अपने भविष्य के उद्देश्यों को लिखता है।
विद्यार्थी जीवन पर निबंध 400 शब्दों में।

विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण काल होता है।इसी काल पर व्यक्ति का सम्पूर्ण भविष्य निर्भर करता है। इस काल का सदुपयोग करने वाले विद्यार्थी अपने बचे हुए शेष जीवन को आरामदायक और सुखमय बना सकते हैं।
इस काल को व्यर्थ के कार्यों में नष्ट करने वाले विद्यार्थी अपने भविष्य को अंधकार बना देते हैं।विद्यार्थी जीवन में ही व्यक्ति के चरित्र की नीव पर जाती है।
अतः इस जीवन में बहुत सोच समझ कर कोई भी कदम उठाने की जरूरत होती है। विद्यार्थियों को इस अवधि में अपनी शिक्षा स्वास्थ्य , खेल कूद और व्यायाम का समुचित ध्यान रखना चाहिए।उन्हें परिश्रमी और काफी लगनशील बनाना चाहिए।
इस काल में स्वास्थ्य को सफलता का मूल मंत्र मानना चाहिए। उन्हें हर प्रकार की बुरी संगति से बचना चाहिए।उन्हें नम्र बने रह कर विद्या ग्रहण करने का प्रयास में लगे रहना चाहिए।
उपर्युक्त बातों को ध्यान में रख कर विद्यार्थी जीवन को सफल बनाया जा सकता है। एक कर्त्तव्य निष्ट विद्यार्थी ही अपने जीवन में कठिन संघर्ष करके परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर अपने विद्यालय , गुरुजनों और अपने माता पिता का सिर गर्व से काफी ऊंचा करता है।
विद्यार्थी अपने आप को आत्म संयमित और दृढ़ संकल्पित रखता है और अपने मार्ग में आई हुई परिस्थितियों से कभी भी नहीं भटकता है।
विद्यार्थी जीवन पर निबंध 250 शब्दों में।

विद्यार्थी जीवन ज्ञान प्राप्त करने का समय है। उसे ज्ञान प्राप्त करने के लिए काक की तरह , बगुले की तरह ध्यान , कुत्ते की तरह नींद , अल्पाहारी तथा घर त्यागी आदि नियमों का पालन करना चाहिए।इस समय उसे आलस्य त्याग कर मानसिक और शारीरिक परिश्रम करना चाहिए।
परिश्रम शील छात्र का जीवन ही सदा सुखमय रहता है।विद्यार्थी ही राष्ट्र के विधाता हैं, आज के विद्यार्थी ही कल के भावी देश के कर्ण धार होंगे ।विद्यार्थियों को इस समय में पूर्ण अनुशासित हो कर अपने गुरुओं का समान करना चाहिए।
किसी भी छात्र के लिए विद्यार्थी जीवन आसान नहीं होता परंतु उन्हें अपने कल के भविष्य को देखते हुए अपने विद्यार्थी जीवन में कठोर परिश्रम करके आसान बनाना परता है।
विद्यार्थी केवल कहने के लिए ही विद्यार्थी नहीं होते बल्कि वो विद्यार्थी जीवन को बहुत ही तन मन से अपना कर विद्यार्थी जीवन के मार्ग पर चलने के लिए अग्रसर होते हैं।
अक्सर विद्यार्थी को ऐसा कहा जाता है की अगर अभी थोड़ी मेहनत कर लोगे तो जीवन भर मजे में रहोगे , सुख में रहोगे , अपनी मनमानियां करोगे परंतु यदि अभी मेहनत ना कर के सुख करोगे तो जीवन भर तुम्हें करी से करी मेहनत करना परेगा।
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अपने जीवन की मूल भूत आवश्यकता की पूर्ति के लिए भी सोचना पड़ेगा हमेशा एक लो क्लास का जीवन जीना पड़ेगा। अतः हमें विद्यार्थी जीवन में ही करी मेहनत कर के पढ़ाई करनी चाहिए ताकि हमारा आने वाला कल एक उज्ज्वल भविष्य बन सके।
विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई के साथ साथ और भी सारी चीजों पर ध्यान देना अति आवश्यक है।जैसे कि शारीरिक विकास, मानसिक विकास तथा सामाजिक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास।
विद्यार्थी जीवन पर निबंध 100 शब्दों में।

विद्यार्थी जीवन साधना और तपस्या का जीवन है। यह काल एकाग्रचित होकर अध्ययन और ज्ञान चिंतन का है। यह काल सांसारिक भटकाव से खुद को दूर रखने का काल है। विद्यार्थियों के लिए यह जीवन अपने भावी जीवन को ठोस नीव प्रद्दान करने का सुनहरा अवसर है ।
विद्यार्थी जीवन का समय चरित्र निर्माण का समय है। यह समय अपने ज्ञान को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण समय है।विद्यार्थी जीवन का समय 5 वर्ष की आयु से प्रारंभ हो जाता है।
इस समय जिज्ञासाएं पनपने लगती हैं। ज्ञान पिपासा तीव्र हो उठती है। बच्चा विद्यालय में प्रवेश हो कर ज्ञानार्जन के लिए उद्धत हो जाता है। उसे घर को दुनियां से बड़ा आकाश विद्यालय में ही दिखाई देने लगता है।
विद्या अर्जन की चाह रखने वाला विद्यार्थी जब विनम्रता को धारण करता है तब उसकी राहें और भी अधिक आसान हो जाती है।
अतः विद्यार्थी जीवन का समय एक बहुत ही रोमांचक समय है, उसे पढ़ाई लिखाई के साथ साथ एंजॉय भी करना चाहिए ।
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विद्यार्थी जीवन पर निबंध निष्कर्ष :
हमें उम्मीद है की विद्यार्थी जीवन पर निबंध पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा। अगर आपके मन में कुछ सवाल है विद्यार्थी जीवन पर निबंध से सम्बंधित तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। विद्यार्थी जीवन पर निबंध को पढ़ने के लिए धन्यबाद।