पर्यावरण पर निबंध [पर्यावरण पर निबंध हिंदी] | Environment Essay in Hindi.
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पर्यावरण पर निबंध [पर्यावरण पर निबंध हिंदी] | Environment Essay in Hindi.
पर्यावरण का संधि विच्छेद परि+ आवरण होता है जिनमें की परि का आशय चारों ओर से है और आवरण का आशय घिरा हुआ से है अर्थात हमारे आस पास चारों ओर घिरे हुए वह आवरण जो की हमें सरलता पूर्वक जीवन यापन करने में सहायक होते हैं, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
प्रस्तावना : पर्यावरण से हमें वह हर एक संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं जो की किसी भी सजीव प्राणी को जीने के लिए आवश्यक है। इन्होंने हमें शुद्ध वायु,जल, खाद पदार्थ, अनुकूल वातावरण आदि उपहार स्वरूप भेंट में दिया है।
हम सभी ने पर्यावरण के संसाधनों का भरपूर इस्तमाल किया है और आज हमारे इतना विकास कर पाने के पीछे भी पर्यावरण का एक प्रमुख योगदान रहा है।
पर्यावरण में वह सभी प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं जो की कई तरीकों से हमारी मदद करते हैं तथा चारों ओर से हमें घेरे हुए हैं। यह हमें बढ़ने तथा विकसित होने का बेहतर माध्यम देता है, यह हमें वह सबकुछ प्रदान करता है जो इस ग्रह पर यानी की पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए अति आवश्यक है।
हमारा पर्यावरण भी हमसे कुछ मदद की उम्मीद रखता है जिससे की हमारा लालन पालन हो सके, हमारा जीवन इस पृथ्वी पर बना रहे और कभी खत्म न हो।तकनीकी आपदा के वजह से दिन प्रति दिन हम प्राकृतिक तत्व को अस्वीकार रहे हैं जो की हम सबों के लिए आने वाले समय में एक संकट का विषय बन सकता है।
पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण के वास्तविकता को बनाए रखना होगा क्योंकि पूरे ब्रह्मांड में एक पृथ्वी ही है जिसपर पूरा प्राणी आश्रित है।
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विश्व पर्यावरण दिवस:
वर्षों से प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है जो की लोगों में जागरूकता लाने और पर्यावरण स्वच्छता तथा सुरक्षा के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है।
पर्यावरण दिवस समारोह को जानने के लिए, हमारे पर्यावरण को किस प्रकार सुरक्षित रखा जाए तथा हमारे उन सभी बुरी आदतों के बारे में जानने के लिए जिसमे पर्यावरण को हानि पहुंचता है, हम सभी को इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए।
हमें अपशिष्ट की मात्रा में कमी करना चाहिए तथा अपशिष्ट पदार्थ को वहीं फेकना चाहिए जहां उसका स्थान है।प्लास्टिक बैग का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा कुछ पुराने चीजों को फेकने की वजाय नए नए तरीकों से उनका उपयोग करने की तरकीब सोचनी चाहिए।
धरती पर रहने वाले सभी व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे छोटे कदमों के माध्यम से ही हम बहुत आसानी तरीके से हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।
हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर भी हमारा पर्यावरण दिन प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण के वजह से नष्ट होता जा रहा है।
यही कारण है की हमें आज पर्यावरण प्रदूषण जैसी सबसे बड़ी समस्याओं का सामना करना पर रहा है। सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से पर्यावरण प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रहा है।
पर्यावरण प्रदुषण से होने वाली बीमारियां।
पर्यावरण प्रदूषण वातावरण में विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है, जिसे की न चाहते हुए भी व्यक्तियों की जीवन भर उस बीमारी को झेलना परता है।
यह किसी समुदाय या फिर किसी शहर की समस्या नहीं है बल्कि ये तो दुनिया भर की समस्या है और इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास से नहीं बल्कि हम सबों को मिलकर प्रयास करने से होगा।
अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं किया गया तो एक दिन जीवन का अस्तित्व ही नहीं रहेगा। प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा आयोजित पर्यावरण आंदोलन में शामिल होना होगा तभी हम सबों को इस समस्या का समाधान मिल सकता है।
हम सबों को अपनी अपनी गलतियों पर सुधार करना होगा तथा अपने अपने हित के बारे में न सोच कर पर्यावरण को प्रदूषण से सुरक्षित तथा स्वस्थ करना होगा।
यह मानना बहुत ही कठिन है परंतु सत्य है की प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाया गया छोटा छोटा सकारात्मक कदम भी बहुत ही बड़ा बदलाव ला सकता है तथा पर्यावरण गिरावट को रोक सकता है जो की हम सबों के लिए एक बहुत ही अच्छी बात है।
वायु तथा जल प्रदूषण द्वारा विभिन्न प्रकार के रोग तथा विकार का जन्म होता है जो की हमारे जीवन को खतरे में डालने के लिए एक बहुत ही बड़ा माध्यम है।
आज के समय में किसी भी चीज को स्वास्थ्य के दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता, जो हम खाना खाते हैं वो पहले से ही कृत्रिम उर्वरक के बुरे प्रभाव से प्रभावित होता है, जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा क्षमता कम वो कमजोर होती है जो की सूक्ष्म जीवों से होने वाले रोगों से लड़ने में हमारे शरीर की काफी मदद करता है।
इसलिए हम में से कोई भी स्वस्थ और खुद होने के बाद भी कभी भी रोगग्रस्त हो सकता है।
मानव जाति द्वारा शहरीकरण और उद्योगकीकरण के आंदोलन ने चिकित्सा, उद्योग तथा सामाजिक क्षेत्र को विकसित किया परंतु प्राकृतिक परिदृश्य को कंक्रीट इमारतों तथा सरको में पूरी तरह से बदल दिया।
भोजन तथा पानी के लिए प्रकृति प्रदृष्यों पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक है की हम इन संसाधनों की रक्षा किए बिना जीवित ही नहीं रह सकते हैं।
सभी प्रकार के प्राकृतिक तत्व जो की जीवन को संभव बनाते हैं वह पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।जैसे की पानी, हवा, भूमि,प्रकाश, आग, जंगल, जानवर, पेड़ पौधे आदि।ऐसा माना जाता है की पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है तथा जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए, पर्यावरण है।
पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है तथा हमें भविष्य में जीवन को बचाए रखने के लिए पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा और यह पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
हर व्यक्ति सामने आए तथा पर्यावरण संरक्षण के मुहिम का हिस्सा बने, जो की एक संतुलित जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है।
पृथ्वी पर विभिन्न चक्र है जो की नियमित तौर पर पर्यावरण और जीवित चीजों के मध्य घटित होकर प्रकृति का संतुलन बनाए रखते हैं।
जैसे की ये चक्र विभुक्ष होता है तो पर्यावरण संतुलन भी गड़बड़ा जाता है जो की मानव जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव डालता है।हमारा पर्यावरण हमें पृथ्वी पर हजारों वर्ष तक पनपने तथा विकसित होने में हमारी मदद करता है।
वैसे ही जैसे की मनुष्य को प्रकृति द्वारा बनाया गया पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता है, उनमें ब्रह्मांड के तथ्यों को जानने की बहुत उत्सुकता होती है जो की उन्हें तकनीकी उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
निष्कर्ष :अतः उपर्युक्त तथ्यों के माध्यम से पर्यावरण पर निबंध को बहुत ही अच्छी तरह से समझा जा सकता है।आधुनिक शहरीकरण, औदोगिकीकरण तथा हमारा प्रकृति के प्रति व्यवहार इन सब कारणों के वजह से पर्यावरण प्रदूषण विश्व की प्रमुख समस्या है तथा इसका समाधान प्रत्येक व्यक्ति के निरंतर प्रयास से ही संभव है।
हमें विश्व पर्यावरण दिवस के मुहिम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए जिससे की हमारे बीच पर्यावरण जैसी गंभीर समस्या का समाधान हो सके।
जो की हमारे लिए, हमारे परिवार के लिए, हमारे समाज के लिए, हमारे देश वो राष्ट्र के लिए बहुत ही सम्मान वो गर्व की बात है।
पर्यावरण पर निबंध 400 या 500 शब्दों में।

पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है, जिसमें की परि का अर्थ है हमारे आसपास अर्थात जो हमारे चारों ओर है, और आवरण का अर्थ होता है जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं।
पर्यावरण उन सभी भौतिक, रसायनिक और जैविक कारकों की कुल इकाई है जो की किसी भी जीवधारी अथवा परितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जिविता को तय करते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस:
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है।इसकी शुरुवात 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई।5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीटाणु, जीव जंतु और वृक्ष के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रिया प्रक्रिया भी उनमें शामिल हैं।
जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रिया भी आती हैं, जैसे पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व आदि।
सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रिया और घटनाओं से मिलकर बनी हुई इकाई है।यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं।
मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो की एक दूसरे के पूरक हैं।
हम सभी के जीवन में इस तरह की तकनीक उत्पन्न हुई है, जो की दिन प्रतिदिन जीवन की संभावनाओं को खतरे में डाल रही है तथा पर्यावरण के नष्ट कर रही हैं।
जिस तरह से प्राकृतिक हवा, पानी, और मिट्टी दूषित हो रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है जैसे की एक दिन हम सभी को बहुत ही हानि पहुंच सकती है।
यहां तक की इसने अपना बुरा प्रभाव मनुष्य, जानवर, पेड़ तथा अन्य जैविक प्राणी पर दिखाना शुरू भी कर दिया है।कृत्रिम रूप से तैयार खाद तथा हानिकारक रसायनों का उपयोग मिट्टी की उर्वरकता को नष्ट करता है, तथा हम जो प्रतिदिन खाना खाते हैं उसके माध्यम से हमारे शरीर में एकत्र होता जाता है।
औदोगिक कंपनियों से निकलने वाला हानिकारक धुवां हमारी प्राकृतिक हवा को दूषित करती है जिससे की हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है, क्योंकि हमेशा हम सांस के माध्यम से इसे ग्रहण करते हैं।
पर्यावरण पर निबंध 300 शब्दों में।
जैसा की हमलोग बहुत अच्छे से जानते हैं कि पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है जिसमें की परि का अर्थ हमारे आस पास अर्थात जो हमारे चारों ओर है, और आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं।
आज दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण हमारा पर्यावरण और भी ज्यादा दूषित होता जा रहा है। प्रदूषण में वृद्धि, प्राकृतक स्रोत में तेजी से कमी का मुख्य कारण है, इससे न केवल वन्यजीवों और वृक्षों को नुकसान हुआ है बल्कि इनके द्वारा ईको सिस्टम को भी बाधित हुआ है।
आधुनिक जीवन के इस व्यस्तता में हमें कुछ बुरी आदतों को बदलना अति आवश्यक है जो की हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं।
यह सत्य है की नष्ट होते पर्यावरण के लिए हमारे द्वारा किया गया छोटा सा प्रयास बहुत ही बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है।हमें अपने स्वार्थ की पूर्ति तथा विनाशकारी कामनाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का गलत उपयोग कभी नहीं करना चाहिए।
हमें इस बात का सदैव खयाल रखना चाहिए की आधुनिक तकनीक, परिस्थिकीय संतुलन को भविष्य में कभी भी बाधा न डाल सकें।
अब समय आ चुका है की हम प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय बंद करें और उनका विवेकपूर्ण तरह से उपयोग करें।हमें हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान तथा तकनीक दोनों को विकसित करना चाहिए परंतु हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की यह वैज्ञानिक विकास भविष्य में पर्यावरण को किसी भी प्रकार से नुकसान न पहुंचाए।
हमें पर्यावरण की संरक्षण हेतु बहुत सारे उपाय करने चाहिए जिनमें की मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं
पर्यावरण संरक्षण को हानि पहुंचाने वाली चीजों का काम उपयोग करना चाहिए जैसे की प्लास्टिक के बैग आदि।
कुछ चीजें ऐसी होती है जिसे की हम दोबारा बना कर प्रयोग में ला सकते हैं जैसे की शराब की बोतलें, खाली जार आदि ऐसे समान जिसे हम हमारे घरों में उपयोग करते हैं और फेंक देते हैं लेकिन उन्हें वापस उपयोग में लाने का काम कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, अखबार, खराब कागज, गत्ता, आदि ऐसे समान हैं जिनका उपयोग बनाकर वापस फिर से उपयोग में ला सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण का उपाय किसी भी महिला किचन से शुरू होकर हमारे पर्यावरण तक हमारे सामने आता है, इसकी और सरकार को विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए।
पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में।
जैसा की हमलोग बहुत अच्छे से जानते हैं कि पर्यावरण का आशय हमारे चारों ओर के वातावरण से है।
आज का युग आधुनिक युग है और पूरा संसार ही पर्यावरण के प्रदूषण से दुखी है।आज मनुष्य की हर एक के सांस लेने पर हानिकारक गैसें मिली हुई हैं , जिसके कारण तरह तरह की बीमारियां फैल रही हैं।
पर्यावरण यदि इसी तरह से प्रदूषित होता रहा तो पूरी पृथ्वी प्राणी और वनस्पति जगत इस प्रदूषण में विलीन हो जायेगी।इसलिए समय रहते ही हमें इन प्रदूषणों से हमारी पृथ्वी की और हमारी जान बचानी है।इसके लिए पर्यावरण संरक्षण का उपाय हर एक व्यक्ति को करना चाहिए।
अतः हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए तरह तरह के उपाय अपनाने चाहिए जिससे की हमारे पर्यावरण के साथ साथ हमारी भी रक्षा हो सके, जो की हमारे पूरे परिवार, समाज, राष्ट्र वो देश के लिए बहुत ही सम्मान वो गर्व की बात है।
निष्कर्ष :
हमें उम्मीद है की पर्यावरण पर निबंध पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा। अगर आपके मन में कुछ सवाल है पर्यावरण पर निबंध से सम्बंधित तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। पर्यावरण पर निबंध पोस्ट को पढ़ने के लिए धनयबाद।
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