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एक छात्र का जीवन हिंदी कहानी | Ek Student ka Jeevan Hindi Kahani

जब आप अपने घर से दूर शहर पढ़ने जाते हैं तो आप अपनी गलियों की यादें ,वह बचपन के दिन ,वह मौज मस्तियां, ओ यारी दोस्ती, सबको पीछे छोड़ कर अपने जीवन के सपने के सपनों को हकीकत में बदलने के लिए चल देते हैं ,आप अपने परिवार से अपने मन ही मन वादा करते हैं, इस दिन को बदलकर जरूर लौटूंगा। 

जो घर का एक जिगर का टुकड़ा होता है, सबका प्यारा होता है वह जब घर छोड़ता है, तो सबको विश्वास होता है कि मेरा लाल बुरे दिन को अच्छे वक्त में बदलकर जरूर आएगा। 

जब आप एक नए शहर में आते हैं तो यहां आपको 10 बाई 10 के किराए रूम मे रहना पड़ता है, और यहीं से शुरू होती है आपके सपनों से बनी महल को हकीकत में बनाने की, कभी वह गैस के पास भी नहीं गया था आज वह कंधों पर गैस उठाकर चल रहा है कभी वह सब्जी नहीं खरीदा था आज फ्री मे मिर्चा मांग रहा है, कभी खुद से पानी ना पीने वाला आज खुद से बर्तन धो रहा है।

जब सुबह से लेकर शाम तक इस कोचिंग संस्था से उस लाइब्रेरी तक के सफर में जब आप थके हारे अपने रूम में आते हैं तो मन में यह उदासी आती है कि यार फिर उसी जगह, क्योंकि जब आप गेट खोलने हो ना,ना तो कोई आपसे मिलने वाला और ना ही आपका कोई हालचाल लेने वाला होता हैं , बस किताबों का झुंड आपके इंतजार में बैठे होते हैं और आप इस उम्मीद में उन किताबों को पढ़ते हो कभी तो अपना दिन आएगा।
उस रूम की दीवारें, उस रूम में रखी किताबें आपके उस संघर्ष की कहानी को चिख-चिख कर बताती हैं, कि हां मैंने देखा है तुमको रोता हुआ, हां मैंने देखा है तुम्हारे जज्बे को फिर से जुड़ते हुए, हां मैंने देखा है तुमको उदास होते हुए! कुछ बातें तो सिर्फ अपनी किताबों से ही बोल पाते है और वह किताबें ही बस समझ पाती है, काश कोई होता जिससे खुलकर बोल पाते हैं भाई अब नहीं हो रहा है और वह आपको बोलता बस भाई लास्ट बार फिर से मेहनत कर ले शायद इस बार कुछ अच्छा हो जाए। 

जब घर से फोन आता है तो मां पूछती है कैसे हो बेटा तब आप सारे दुख अपने मन में समेट कर बोलते हो मैं ठीक हूं घर में सब ठीक है ना तब मां बोलती है पैसा है ना बेटा या फिर बाबूजी से भिजवा दूं तब आप सहम जाते हैं इसका उत्तर क्या दूं क्योंकि वह आप ही होते हैं जो 1 किलोमीटर पर एक गाना सुनकर यूं पैदल निकाल देते हैं कभी आप खुद से होटल में जाकर खाना नहीं खाते हैं ताकि पैसा बचा रहेगा तो किताब खरीद लुंगा, रूम का भाड़ा दे दूंगा, आप कभी फिजूल खर्च नहीं करते हैं, क्योंकि आपको पता है आपके मां-बाप कितनी मेहनत से एक-एक पैसा इकट्ठा करके आपके पास भेज रहे हैं मेरा बेटा पढ़ लिख कर इस बुरे वक्त को अच्छे वक्त में बदल दे।

और आपके माता-पिता को यह आशा होता है कि आप इस पर जरूर खरे उतरेंगे।

बस कुछ देर की खामोशी है मेरे दोस्त तुम्हारा वक्त आया है मेरा दौर आएगा, रख खुद पर हौसला यह दौर जरूर जाएगा।
धन्यवाद

Credit :
पियूष यादव
उत्तर प्रदेश– मऊ

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Navin Sinha

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