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Anand Mohan Singh | बिहार के बाहुबली नेता Anand Mohan Singh Ki Kahani | जेल | बचपन | राजनितिक जीवन | पत्नी | परिवार।
बिहार जिसने भारतवर्ष को देश का पहला राष्ट्रपति डॉ० राजेंद्र प्रसाद के रूप में दिया था, जोकि एक महान राजनेता थे। मगर समय के साथ साथ बिहार की राजनीती में बहुत से बदलाव आये और बिहार की राजनीती में बाहुबली नेताओं ने अपना वर्चस्व जमा लिया है। हम बात कर रहे है एक ऐसे बाहुबली नेता के बारे में जिन्हे फांसी की सजा सुनाई गयी थी।
ऐसा आज़ाद भारत में पहली बार हुआ था की किसी राजनेता को फांसी की सजा सुनाई गयी हो, हालांकि उच्चतम न्यायलय ने उनकी सजा को बदल कर उम्र कैद में तब्दील कर दिया था। और वो राजनेता आज भी अपनी सजा काट रहा है हालांकि उसकी सजा की अबधि पूर्ण हो चुकी है, मगर फिर भी उन्हें रिहाई नहीं दी जा रही है।
हम बात कर रहे है पूर्व विधायक और सांसद रह चुके आनंद मोहन सिंह के बारे में, जोकि सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पुरे भारतवर्ष में एक निडर और बाहुबली नेता के रूप में प्रचलित है।
पंचायत की कुछ ख़बरें।
ये है Anand Mohan Singh Ki Jiwani | आनंद मोहन सिंह की जीवनी |

आनंद मोहन सिंह 66 वर्ष के है उनका जनम 28 जनवरी 1954 ई० में बिहार के सहरसा ज़िले के एक छोटे से गाँव पचगछिया में हुआ था। उनके दादा जी राम बहादुर सिंह जी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे शायद इस कारण भी शुरू से ही उनका राजनीती की तरफ झुकाव कुछ ज्यादा था।
आनंद मोहन सिंह जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 17 वर्ष की आयु में ही की थी। 1974 में जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन में जुड़ने के बाद उन्होंने अपनी पढाई छोड़ दी थी। और बढ़ चढ़ कर उस आंदोलन में हिस्सा लिया था। जिस कारण उस वक़्त लगे इमरजेंसी में उन्हें दो वर्ष के लिए जेल भी जाना पड़ा था।
भगत सिंह और नेल्सन मंडेला को अपना आदर्श मानने वाले आनंद मोहन सिंह जी सत्ता बिरोधी रहे है, इस कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा है। आनंद मोहन जी के प्रयास के कारण ही मैथली भाषा को अष्टम अनुसूची में जगह मिल पायी है।
1990 के विधानसभा चुनाव से उन्होंने राजनीती में एक कदम और बढ़ा लिया था। 1990 में उन्होंने महिषी विधानसभा (सहरसा) से जनता दल के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और विधायक बने।
कैसे सुरु हुआ Anand Mohan Singh Ki Bihar People’s Party.

1993 में उन्होंने जब जनता दल भी सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के प्रस्ताव से सहमत हो गयी तो उन्होंने जनता दल को छोर दिआ और अपनी पार्टी बनाई बिहार पीपुल्स पार्टी (Bihar People’s Party)। हालांकि अब Bihar People’s Party का अस्तित्व नहीं है।
आनंद मोहन जी शिवहर लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद भी बने है। पहली बार 1996 में में उन्होंने लोकसभा में जीत दर्ज की, उस वक़्त वो जेल में थे मगर जेल में रह कर ही उन्होंने जीत हासिल की और उसके बाद 1998 में राष्ट्रीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने जीत हासिल की। और लगातार दो बार शिवहर लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल कर वहा के सांसद बने।
1999 और 2004 के चुनाव में भी उन्होंने हिस्सा लिया था मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
आखिर क्यों Anand Mohan Singh Jail गए थे ? Anand Mohan की जेल की यात्रा |

आनंद मोहन सिंह पर कई मामले दर्ज है मगर जिस मामले के कारण उन्हें आजीवन कारावास की सजा काटनी पर रही है वो है एक डीएम की हत्या का मामला। जिसमे आनंद मोहन सिंह के साथ उनकी पत्नी और कुछ अन्य लोगो को भी दोषी पाया गया, मगर सबूत की कमी के कारण आनंद मोहन की पत्नी समेत बाकि लोगो को बड़ी करना पड़ा।
हुआ कुछ यू था की मुज़फ्फरपुर का डॉन कहे जाने वाले कैशलेन्द्र शुक्ला उर्फ़ छोटन शुक्ला जो की आने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार थे उनकी 4 दिसंबर 1994 की रात को पोलिस की वर्दी पहन कर आये कुछ लोगो ने बीच सड़क हत्या कर दी।
दूसरे दिन 5 दिसंबर 1994 को आनंद मोहन ने छोटन शुक्ला के शव के साथ सड़क पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। उसी वक़्त गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया हाजीपुर से लौट रहे थे। भीड़ ने उनकी गाड़ी पर हमला कर दिए और उनकी हत्या कर दी। भीड़ को उकसाने का आरोप आया आनंद मोहन और उनकी पत्नी समेत कुछ अन्य लोगो पर।
2007 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई जिसे 2008 में पटना हाई कोर्ट ने बदल कर उम्रकैद कर दिए था।
Anand Mohan Singh की पत्नी लवली आनंद | Lovely Anand Wife of Anand Mohan
Lovely Anand wife of Anand Mohan
आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी पूर्व सांसद रह चुकी है, उन्हें लोग भाभीजी कह कर बुलाते थे।
आनंद मोहन जी के तीन बच्चे है। चेतन आनंद (जोकि शिवहर के विधायक है), शुरभी आनंद और अंशुमन आनंद। एक राजनेता के साथ साथ आनंद मोहन एक कवि लेखक भी है। उनकी कुछ रचनाये है कैद में आज़ाद कलम, काल कोठरी से, तेरी मेरी कहानी। वो अपनी आत्मकथा बचपन से पचपन तक भी लिख रहे है। तो कैसी लगी आपको आनंद मोहन की जीवनी।